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अनुपस्थिति में सब इन्सपेक्टर) इन्हें तितर बितर करने का आदेश दे सकता है धारा (129 दण्ड प्रक्रिया संहिता या सी आर.पी.सी.)
धारा 151(1) के अन्तर्गत कोई भी पुलिस अधिकारी जिसके ध्यान में आता है या लाया जाता है कि संज्ञेय (कोग्नीजेबल) अपराध करने की परिकल्पना का पता है, ऐसी परिकल्पना करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेशो के बगैर और वारन्ट के बगैर, उस दशा में गिरफ्तार कर सकता है जिसमें ऐसे अधिकारी को प्रतीत होता है कि उस अपराध का किया जाना अन्यथा नहीं रोका जा सकता। ___अपराध यदि घटित हो जाता है तब तुरन्त कार्यवाही धारा 505(2) भारतीय दण्ड संहिता में की जानी चाहिए। यह अपराध संज्ञेय व गैर जमानती है (कोग्नीजेबल एण्ड नोन बेलेबल) केवल एक प्रावधान का ध्यान आवश्यक है कि इसमें धारा 196(1ए) दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआर.पी.सी.) के अनुसार जिला दण्डनायक की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद ही कोर्ट में चालान पेश किया जाना चाहिए। चालान पेश करने के बाद जारी कराई गई स्वीकृति काननून गलत होने से मुकदमा आगे नहीं चल सकेगा। इसीलिये स्वीकृति लेकर ही चालान पेश करना चाहिए।
इसके अलावा धारा 153ए और 295ए भारतीय दण्ड संहिता में अपराध दर्ज (एफ.आई.आर.) किया जाकर बाद जांच राज्य सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर ही चालान पेश किया जाना चाहिए ऐसा प्रावधान धारा (196)(1) सीआर.पी.सी. में है। यह दोनों अपराध संज्ञेय व गैर जमानती है (कोग्नीजेबल एण्ड नोन बेलेबल) .
धारा 298 के अपराध (जो केवल मौखिक अपराध पर ही लागू होता है, लिखित या प्रकाशन पर नहीं) जो असंज्ञेय है - पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर धारा 24 पुलिस एक्ट के अन्तर्गत न्यायिक दण्डनायक मुंसिफ मजिस्ट्रेट के समक्ष सूचना रखेगा या वह इस्तगासा पेश करेगा, इसकी ट्रायल के लिए राज्य सरकार या जिला दण्डनायक की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
घटित अपराध के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए धारा 468 सीआर.पी.सी. में मयाद का प्रावधान है व समय सीमा कब से लाग होगी. धारा 269 में प्रावधान किया गया है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए। धारा 298 आई.पी.सी. के अपराध के लिए मयाद एक वर्ष एवं धारा 153ए, 295ए व 505(2) के लिए तीन वर्ष है।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक सुनागरिक का यह कर्त्तव्य है कि इस प्रकार के अपराध करने वाला यदि राजकीय या स्वायतशासी संस्था में नौकरी करता है तो उसके उच्च अधिकारी को उसकी गतिविधियों की सूचना देवे। यही नहीं, राज्य सरकार ने यह प्रावधान बनाया है कि प्रत्येक नई नियुक्ति देते समय उस व्यक्ति के चरित्र व चाल चलन की जांच स्थानीय पुलिस विभाग से कराई जावे एवं वह व्यक्ति यदि अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है तब चयन होने के बावजूद भी उसे नौकरी पर नहीं रखा जावेगा।
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