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________________ वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों की जानकारी में नहीं होने से वे इन असामाजिक तत्वों को जुलूस निकालने व मेले आयोजन की अनुमति दे देते हैं। . उदाहरण के लिये निम्न दो उदाहरण दिये जा रहे हैं : विश्व ज्योति प्रिण्टर्स, सांचोर द्वारा एक पेम्पलेट प्रकाशित किया जिसका शीर्षक है, "विष्णुधर्म प्रेमियों एवं मुसलमानों जरा सोचो और मनन करो"। इसमें उन्होंने जब्त की गई पुस्तक 'जगतहित कारनी' के उद्धरण ही नहीं दिये हैं, बल्कि दुष्प्रचार के उद्देश्य से नोट के रूप में लिखा है 'जगतहित-कारनी' ग्रंथ प्रतिबंधित नहीं है। इसमें विज्ञापन दिया गया है कि अनूपस्वामी व सोनी हरचन्द के रचित ग्रन्थ छपवाने के लिये इस प्रेस से सम्पर्क करें। इससे स्पष्ट प्रकट होता है कि जो पुस्तकें व दस्तावेज राज्य सरकार द्वारा जब्त किये गये हैं, उसकी प्रतियां राज्य की व प्रशासन की नजर से छिपाई जाकर इनके पास में रखी गई 'निकलंक एक्सप्रेस' साप्ताहिक समाचार पत्र जो पचपदरा से सन् 1992 में प्रकाशित होना शुरू हुआ है, प्रति सप्ताह 'जगतहित-कारनी', 'आत्म पुराण', 'न्याय चिंतामणी' एवं अन्य जब्तशुदा ग्रन्थों के उद्धरण नियमित तौर पर प्रकाशित कर रहा है। यही नहीं अनूप मण्डल की जाखोड़ा में दिनांक 20.8.95 की बैठक में इन जब्तशुदा पुस्तकों को छापने के लिये आर्थिक सहयोग इकट्ठा किया गया, इस प्रकार का समाचार दिनांक 5.9.95 के निकलंक एक्सप्रेस में छपा है। प्रेस कौन्सिल ऑफ इंडिया में श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ श्री संघ, बाड़मेर द्वारा इस समाचार पत्र के विरुद्ध की गयी शिकायत जिसका निर्णय क्रम सं. 56 दिनांक 28.3.94 को हुआ उसमें सम्पादक ने अपने उत्तर में कहा, "वह इस बात से अनभिज्ञ थे कि राजस्थान सरकार ने इन पुस्तकों को प्रतिबंधित किया है, अन्यथा वे इसके अंश प्रकाशित नहीं करते।" सम्पादक ने अनभिप्रेत त्रुटि (inadventent error) के लिये खेद व्यक्त किया है। इसके बावजूद भी सम्पादक ने आगामी अंकों में वही गलती दोहराई है। ये व्यक्ति जानबूझ कर विद्वेषपूर्ण आशय से, बोले गये या लिखे गये शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या रूपकों द्वारा या जैन धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिये जैन धर्म व धार्मिक विश्वासों का अपमान करते हैं एवं विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा की भावनाओं को प्रचारित करते हैं। उनके आपसी सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं एवं शान्ति बनाये रखने में विघ्न डालते हैं। ... उपरोक्त वर्णित समस्त कार्यवाही अपराध करने की परिभाषा में आती है एवं अपराध करने वाले एवं उसमें उन्हें सहयोग देने वाले षडयंत्र में शामिल होने वाले सभी फौजदारी कानून (इंडियन पेनल, कोड) की धारा 505(2)ए 153ए, 295ए व 298 का सपठित धारा 120बी का अपराध करते हैं, कदाचार करते हैं तथा शान्ति भंग करते हैं। धारा 505(2), 153ए व 295ए में तीन वर्ष तक की व धारा 298 में एक वर्ष तक की सजा हो सकती है। संभाव्य अपराध होने की सूचना जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को देना प्रत्येक सुनागरिक का फर्ज है। सूचना देने के बाद उस अपराध को घटित नहीं होने देने, शान्ति बनाये रखने के लिए पाबन्द करने का कार्य जिला प्रशासन एवं पुलिस का है। प्रभावी (प्रिवेन्टिव) निरोधक कार्यवाही करने से 974
SR No.006170
Book TitleAnup Mandal Ki Apradhik Karyavahi Ke Viruddh Rajy Sarkar Dwara Jari Adhisuchnaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
PublisherBharatiya Sanskruti Samanvay Samsthan Jodhpur
Publication Year2015
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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