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________________ वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन पुतलों का उल्लेख है, परन्तु इसमें एक ही पुतले का उल्लेख आया है। शेष कथा 'बृहत्कथाकोश' के समान है । " 5. 68 भट्टारक सकलकीर्ति विरिचित 'श्री सुदर्शनचरित' में शील की महिमा इसमें सेठ वृषभदास एवं सागरदत्त द्वारा सुदर्शन एवं मनोरमा के विवाह के लिये की गई पूर्व प्रतिज्ञा का वर्णन नहीं है। शेष कथा पूर्व-ग्रन्थों के समान ही है ।' 6. आचार्य ज्ञानसागर विरचित 'सुदर्शनोदय महाकाव्य ' में शील की महिमा रानी अभयमती द्वारा सुदर्शन पर अनेक आरोप लगाये जाने पर भी जब सुदर्शन किंचित् मात्र भी विचलित नहीं हुए तब राजा की आज्ञानुसार सुदर्शन को मारने के लिये चाण्डाल द्वारा किये गये तलवार के प्रहार सुदर्शन के गले में हार रूप में परिणत हुए देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ । यथा कृतान् प्रहारान् समुदीक्ष्य हारायितप्रकारांस्तु विचारधारा । चाण्डालचेतस्युदिता किलेतः सविस्मये दर्शकसञ्चयेऽतः ।। 5 ।। - सुदर्शनो. सर्ग. 8 । सुदर्शन को मारने के लिये हाथ में तलवार लेकर राजा ज्यों ही स्वयं उद्यत हुआ, तभी उसके अभिमान का नाश करने वाली आकाशवाणी इस प्रकार प्रकट हुई | स्वयमिति यावदुपेत्य महीशः मारणार्थमस्यान्तनयी सः । सम्बभूव वचनं नभसोऽपि निम्नरूपतस्तत्स्मयलोपि || 9 || - सुदर्शनो. सर्ग. 8 । स्वदारेष्वस्ति तोषवान् । जितेन्द्रियो महानेष राजन्निरीक्ष्यतामित्थं गृहच्छिद्रं परीक्ष्यताम् ।। 10 ।। - सुदर्शनो. सर्ग. 8 ।
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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