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________________ आचार्यश्री ज्ञानसागर और उनके महाकाव्यों की समीक्षा आराधना कथाकोश (5) सकलकीर्तिकृत सुदर्शनचरित (6) विद्यानन्दि विरचित सुदर्शनचरित उल्लेखनीय हैं। 1. बृहत्कथाकोश में वर्णित शील की महिमा हरिषेणाचार्य ने बृहत्कथाकोश में शील की महिमा व्यक्त करते हुए लिखा है कि रानी अभयादेवी ने जब से सुदर्शन के रूप-लावण्य की महिमा कपिला ब्राह्मणी से सुनी तो सुदर्शन को पाने की प्रबल इच्छा उसके मन में भी जाग्रत हो गई। अष्टमी के दिन शमशान में प्रतिमायोग में स्थित सुदर्शन को उसने दासी द्वारा महल में उठवा लिया। रानी की दुष्टचेष्टाओं से अप्रभावित सुदर्शन निश्चल ही बैठा रहा। अन्त में रानी द्वारा सुदर्शन पर लगाये गये आरोप के प्रतिकार स्वरूप राजा ने जब शमशान में ले जाकर सुदर्शन का शिरच्छेद करने की घोषणा की, तब तलवार का प्रहार सुदर्शन के गले में पुष्पमाला के रूप में बदल गया। विस्मित हो सभी लोग शील की महिमा के कारण सुदर्शन की परिक्रमा करने लगे। 2. मुनिनयनन्दि विरचित सुदंसणाचरियं में शील की महिमा सुदंसणचरियं में शील की महिमा का उल्लेख प्रायः बृहत्कथाकोश के अनुसार ही है। अन्तर मात्र इतना ही है कि राजा द्वारा आदेशित भट जैसे ही सुदर्शन पर तलवार का प्रहार करते हैं वैसे ही व्यन्तर देव आकर सभी भटों को रोक देते हैं और तलवारों को पुष्पमालाओं में बदल देते हैं तथा शीलं की महिमा के प्रभाव से देव आकाश में पुष्पवृष्टि करते हैं। 3. रामचन्द्र मुमुक्षुकृत पुण्यासव बृहत्कथाकोश में शील - की महिमा ..... इस कथा कोश में सुदंसणचरियं' की कथा से इतना ही अन्तर है... कि इसमें ग्वाला रात भर मुनिराज के पास बैठकर उनकी सेवा करता रहा। शेष कथा 'सुदंसणचरियं के समान ही है। 4. ब्रह्मचारी नेमिदत्त विरचित 'आराधना कथाकोश' में शील की महिमा आराधना-कथाकोश में कपिल ब्राह्मण एवं उसकी पत्नी कपिला का वृत्तान्त नहीं है। पूर्वग्रन्थों में द्वारपालों को वश में करने के लिये सात
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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