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वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन
आचार्यश्री ज्ञानसागर
के ग्रन्थ
संस्कृत-ग्रन्थ
साहित्यिक ग्रन्थ
महाकाव्य चम्मूकाव्य मुक्तक काव्य
दयोदय मुनिशतक
तत्त्वार्थसूत्र
टीका
जयोदय वीरोदय सुदर्शनोदय भद्रोदय
दार्शनिक ग्रन्थ
(समुद्रदत्त चरित)
प्रवचनसागर
जैनविवाह कर्त्तव्यपथ सचित्त विवेचन
विधि प्रदर्शन
विवेकोदय देवागमस्त्रोत
साहित्यिक ग्रन्थ
सम्यकत्वसार
हिन्दी पद्यानुवाद
हिन्दी-ग्रन्थ
ऋषभावतार
नियमसार का
पद्यानुवाद
सुन्दर-वृतान्त
मानव-जीवन
अष्टपाहुड का
पद्यानुवाद
दार्शनिक ग्रन्थ
भाग्योदय
समयसार
स्वामी कुन्दकुन्द
और सनातन
जैन-धर्म
इसप्रकार पं. भूरामल जी शास्त्री ने अपनी युवावस्था व्यतीत की । जब उनकी आयु 51 वर्ष की हुई तब विक्रम संवत् 2004 (सन् 1947ई.) में आत्म-कल्याण की प्रबल भावना से बाल- ब्रह्मचारी होते हुए भी आचार्य वीरसागर जी महाराज की आज्ञा से आषाढ़ शुक्ला अष्टमी को घर का त्याग कर अजमेर नगर, केसरगंज में सप्तम ब्रह्मचर्य प्रतिमा अंगीकार कर ली और इसी समय प्रकाशित हुए सिद्धान्त ग्रन्थ, श्रीधवल, जयधवल, महाबन्ध का गम्भीर स्वाध्याय किया । धीरे-धीरे मन में वैराग्यभाव बढ़ने पर वि. सं. 2012 (सन् 1955 ई.) में मनसुरपुर ( रेनवाल) में वीरसागर महाराज के