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________________ 24. वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन 17. अमरसूरिः चतुर्विशतिजिनेद्रचरित, अम्बडचरित . चतुर्विशति जिनेन्द्रचरित 24 अध्यायों तथा 1802 पद्यों में लिखा गया है। इसमें चौबीसों तीर्थंकरों के संक्षिप्त जीवन-चरित्र दिये गये हैं। 18. पूर्णचन्द्रसूरिः धन्यशालिभद्रचरित (अतिमुक्तकचरित) पूर्णभद्रसूरि का समय वि. सं. 1285 (1228ई.) और स्थान जैसलमेर बतलाया गया है। धन्यशालि भद्र-चरित में कुमार अतिमुक्तक का वर्णन है। 19. वर्धमानसूरिः वासुपूज्यचरित वासुपूज्य-चरित की रचना वि. सं. 1299 (1282ई.) में अणहिल्लपुर में हुई थी। इसके अतिरिक्त तेरहवीं शताब्दी के अर्हद्दासकृत मुनिसुव्रचरित, अजितप्रभसूरि का शान्तिचरित, लक्ष्मीतिलकमणिकृत प्रत्येकबुद्धचरित, जिनप्रभसूरि का श्रेणिकचरित, विक्रमकृत नेमिचरित भी उपलब्ध होते हैं। 20. वर्धमान भट्टारक: वरांगचरित वरांगचरित त्रयोदश सर्गात्मक महाकाव्य है। इसमें श्रीकृष्ण और नेमिनाथ के समकालीन धीरोदात्त नायक वरांगकुमार का चरित्र गुम्फित 21. पद्मनन्दिः वर्धमानचरित - यह 300 पद्यात्मक काव्य है। इसमें भ. महावीर का संक्षिप्त जीवनचरित निबद्ध है। 22. भट्टारक सकलकीर्तिः वीर वर्धमानचरित वीर वर्धमानचरित की रचना भट्टारक सकलकीर्ति ने की है। यह 19 सर्गों में निबद्ध है। प्रथम अधिकार में कवि ने चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति की है तथा वक्ता और श्रोताओं का वर्णन किया है। साथ ही भ. महावीर के पुरूरवा भील से लेकर चौदह प्रधान भवों और मिथ्यात्व के महान दुष्फल का वर्णन किया है। तृतीय अधिकार में त्रिपृष्ठ नारायण तक के चार गणनीय भवों का तथा नरक के दुःखों का विस्तृतं वर्णन है। सप्तम्
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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