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(xviii) इस शोध प्रबन्ध की रूपरेखा को मुनिश्री ने देखकर आशीर्वाद दिया ! मेरा पुण्ययोग ही था कि शोध-कार्य के लिए पूज्य मुनिश्री सुधासागरजी महाराज का आशीर्वाद मिला तथा संघस्थ क्षु. श्री गम्भीरसागर जी महाराज, क्षु. श्री धैर्यसागर जी महाराज, ब्र. संजय भैया जी ने प्रोत्साहित किया। __पूज्य मुनिश्री के चरणों में विनम्र नमोस्तु एवं क्षुल्लकद्वय को इच्छामि व संजय भैया को जय-जिनेन्द्र निवेदित करती हूँ। प्राकृत विभाग, मानविकी संकाय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के विशिष्ट सम्मानित प्रो. प्रेमसुमन जैन के पूर्ण सहयोग एवं स्नेह के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। साथ ही डॉ. सा. की धर्मपत्नी श्रीमती डॉ. सरोज जैन एवं डॉ. उदयचन्द जैन, डॉ. हुकमचन्द जैन, डॉ. कमलचन्द्र सौगाणी, प्राचार्य डॉ. शीतलचन्द जैन, डॉ. पी.सी. जैन, डॉ. विमलकुमार जैन, डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन आदि विद्वज्जनों का समय-समय पर मार्गदर्शन मिला रहा, अस्तु इनके प्रति आभारी हूँ।
मेरे अनुसंधेय विषय को पूर्ण करने में, मेरे पति डॉ. सनतकमार जैन प्रवक्ता श्री दिगम्बर जैन आचर्य संस्कृत महाविद्यालय सांगानेर, जयपुर का आद्यन्त सहयोग प्राप्त हुआ, इनके प्रति आभार व्यक्त करती हूँ। पुत्र निश्चल जैन बी.ई. इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर तृतीय वर्ष के सहयोग को भी भुलाया नहीं जा सकता। आगे बढ़ने की प्रेरणा और आशीर्वाद से उपकृत मैं अपने पिता श्री अमरनाथ जैन, माता श्रीमती धनवन्ती देवी जैन के प्रति भी श्रद्धावनत हूँ तथा उन सभी विद्वज्जनों के प्रति कृतज्ञ हूँ जिनका शोधकार्य में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में सहयोग प्राप्त हुआ है। साथ ही शास्त्रकारों, शास्त्रभण्डारों, प्रकाशकों के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ।
परमपूज्य मुनिश्री 108 सुधासागरजी महाराज जिन्हें यह ग्रन्थ समर्पित किया गया है, के प्रा. आशीर्वाद का परिणाम है। "वीरोदय महाकाव्य एव भगवान महावीर के जीवन चरित का समीक्षात्मक अध्ययन" कृति मुनिश्री की कृपा से आपके हाथ में है। उनके ज्ञान, ध्यान और तपोमय जीवन को मेरी श्रद्धा और भक्ति समर्पित है।
श्रद्धान्विता डॉ. कामिनी जैन "चैतन्य"
जयपुर