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________________ (xvii) कृति-निधि संस्कृति व साहित्य वैदिक युग से प्रभावित होकर, ज्ञान मन्दाकिनी अपनी अबाधगति से बहती हुई जिस प्रकार कवि कालिदास, वाणभट्ट, श्रीहर्ष, भारवि, माघ आदि कवियों को अपने अतुल वैभव से रसासिक्त करती हुई, अपनी कमनीयता को साहित्य धरातल पर उकेरती हुई, सरस, सुबोध व जन-जन के लिए सुग्राहय बनी उसी प्रकार बीसवीं सदी के अग्रगण्य काव्याचार्य, महाकाव्य प्रणेता आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज के जयोदय, वीरोदय, सुदर्शनोदय, भद्रोदय व दयोदय चम्पू जैसे महाकाव्यो की ज्ञान ज्योति, नवीनतम प्रकाशपुञ्ज की भाँति आलोकित करने की दिव्यदृष्टि परमपूज्य 108 मुनि पुंगव श्री सुधासागरजी महाराज ने दी; पूज्य मुनिश्री की प्रेरणा व आशीर्वाद से उक्त साहित्य पर विभिन्न विषयों को लेकर शोध-कार्य हुए । विषय की व्यापकता और उपादेयता और महत्व से सम्प्रेरित होकर मैंने वीरोदय महाकाव्य को ही अपनी पीएच.डी. उपाधि हेतु विषय चुना । "वीरोदय महाकाव्य एवं भगवान महावीर के जीवन चरित का समीक्षात्मक अध्ययन" विषय पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में प्रो. डॉ. प्रेमसुमन जैन के निर्देशन में शोध कार्य की प्रायोजना इस प्रकार तैयार की। प्रस्तुत शोध प्रबन्ध को छह अध्यायों में विभक्त किया गया है। प्रथम अध्याय में 'प्राकृत संस्कृत एवं अपभ्रंश में चरितकाव्य की परम्परा में वर्णित तीर्थकर परम्परा और भगवान महावीर के विषय में विशेष विवेचना की गई है । द्वितीय अध्याय में आचार्य ज्ञानसागर और उनके काव्यों की समीक्षा की गई है। तृतीय अध्याय में वीरोदय का स्वरूप तथा भगवान महावीर का समग्र जीवन दर्शन दर्शाया गया है। चतुर्थ अध्याय में वीरोदय का काव्यात्मक मूल्यांकन तथा पंचम अध्याय में वीरोदय महाकाव्य का सांस्कृतिक एवं सामाजिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। छठे अध्याय में वीरोदय महाकाव्य में वर्णित भगवान महावीर के सिद्धान्तों का समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । अन्त में विषय-वस्तु के आधार पर प्राप्त निष्कर्षो को उपसंहार के अन्तर्गत आंकलन किया गया है ।
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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