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________________ इस महाकाव्य के नायक जैनाभिमत 24वें तीर्थकर भगवान महावीर हैं जो धीरोदात्त, दयावीर और धर्मवीर हैं। जैनधर्म में वीरपूजा की मान्यता है। जनसामान्य की रूचि के संवर्द्धक–पोषक सर्वाधिक प्रभावक व्यक्तित्व के धनी लोककल्याणकारी महापुरूष वीर कहलाते हैं। तीर्थकर महावीर ऐसे ही प्रभावक व्यक्तित्व के धनी, लोककल्याण की भावना से ओतप्रोत, दया की प्रतिमूर्ति, धर्मचक्र प्रवर्तक, लोकोत्तर महापुरूष थे। महाकवि आचार्यश्री ज्ञानसागर जी ने इन्हीं वीरप्रभु के चरित्र को अपने इस महाकाव्य का विषय बनाया है। ___पुरूरवा भील की पर्याय से महावीर तक के अनेक भवों का इसमें चित्रण है। सिंह पर्याय से उत्तरोत्तर जीवन की आध्यात्मिक प्रगति को प्रस्तुत कर पशु से परमात्मा बनने का पथ-प्रशस्त किया है। तप और ज्ञान के बल से आत्मोन्नति को दर्शाकर सभी संसारियों को आत्मजागृति कर आत्मोन्नयन की प्रेरणा दी है। ऐसे वीरगाथात्मक चरित्र ही लोकरूचि के विषय बनते हैं। इस महाकाव्य में वीर के उदय- (महावीर की आध्यात्मिक उन्नति) का चित्रण है। अतः यह महाकाव्य अपने नाम की सार्थकता (वीर का उदय = वीरोदय) व्यक्त करता है। इन्हीं लोकोत्तर महापुरूष श्री वीरप्रभु के चरित्र की समीक्षा हेतु इस "वीरोदय" महाकाव्य का चयन विदुषी लेखिका श्रीमती कामिनी जैन जयपुर ने किया है। उनका विषय है - "वीरोदय महाकाव्य एवं भगवान महावीर के चरित्र का समीक्षात्मक अध्ययन।" उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. श्री प्रेमसुमन जैनवाड्मय के अध्येता मनीषी विद्वान हैं, जिनके कुशल मार्गदर्शन में विदुषी महिला श्रीमती कामिनी जैन ने शोध एवं अनुसंधान के उच्च मानदण्डों के अनुरूप यह शोध-प्रबन्ध लिख कर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है और महिला-समाज के गौरव को बढ़ाया है। श्रीमती जैन एक साहित्यिक रूचि-सम्पन्न विदुषी महिला हैं, जिन्होंने इस शोधप्रबन्ध के पूर्व भी साहित्य सृजन किया है। (1) अविवेक की आँधी (2) समाज का दर्पण (3) चेतना का जागरण (4) संयमवाणी जैसे शिक्षाप्रद प्रेरणादायी प्रभावी एकांकियों की रचना की है
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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