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अनिल कुमार तिवारी होता है। यह भी उल्लेखनीय है कि पर्यावरण सुधार कार्यक्रम का कोई भी क्रियान्वयन स्थानीय ही हो सकता है और जब यही कार्यक्रम एक साथ कई स्थानों पर चलाया जाता है तो उसका प्रभाव व्यापक (Regional orGlobal) होता है। कुछ पर्यावरणीय समस्यायें ऐसी होती है जिनका केवल एक स्थान से निदान सम्भव नहीं होता है। उसके लिए क्षेत्रीय प्रयास की आवश्यकता होती है। जैसे नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए उस नदी के आस-पास बसे सभी शहरों और गावों में संयुक्त प्रयास की आवश्यकता होती है। उनके लिए पूरे विश्व को एक साथ प्रयास करने की जरुरत होती है। उदाहरण के लिए प्रायः प्रतिदिन हम समाचार पत्रों में पढते हैं कि हमारे वातावरण का तापमान बढ़ रहा है। इसके कारण ग्लेशियरों का तेजी से क्षरण हो रहा है जिससे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है जिसके कारण अनेक द्वीपों का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है। इसके अलावा आने वाले बीस या पचास वर्षों में दुनिया के अनेक भागों में पानी की कमी जैसी गम्भीर समस्या का सामना करना पड सकता है क्योंकि जल का प्रमुख स्रोत ग्लेशियर ही है और उनके संकुचित होने से सदानीरा नदियों में जल प्रवाह की कमी हो रही है। इस समस्या का मानवीय गतिविधि से सीधा सम्बन्ध है तथा पर्यावरण से जुडी अन्य ग्लोबल समस्याओं में शायद सबसे अधिक चर्चा का विषय है।
वास्तव में जब पर्यावरण संकट की बात की जाती है तो मनुष्य की वह गतिविधि बातचीत के केन्द्र में होती है जिसका पर्यावरण पर घातक असर होता है और उसे रोकना या कम करना मनुष्य की इच्छा पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए जल प्रदूषण प्रमुख रूप से कारखानों द्वारा उत्सर्जित तथा शहरों से बाहर निकलते गन्दे पानी को बिना संशोधित किये नदियों में प्रवाहित करने से होता है। पर्यावरण की समस्या उत्पन्न होने के पूर्व कारखानों की स्थापना करते समय या नालियों में रासायनिक पदार्थ प्रवाहित करते समय शायद ही किसी ने सोचा हो कि यह कृत्य अनेक प्राणियों का जीवन समाप्त कर सकता है। इस उत्सर्जित जल के संशोधन और नियोजन के प्रयास किये जा रहे हैं परन्तु यह अभी तक ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुआ है। इसी तरह कल-कारखानों की चिमनियों एवं वाहनों से निकले धुंए से प्राणवायु विषाक्त होती है। खेती में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होने तथा कृषिमित्र जैविक कीटों के विनाश जैसी समस्यायें दिखाई दे रही है। कल-कारखानों और वाहनों की आवाज से उत्पन्न