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________________ ६० संदीप कुमार आचार्य भावसेन के मतानुसार शब्द ऐसा भावरूप पदार्थ है जो कृतक है। अतः विद्युत आदि के समान शब्द भी अनित्य है। बोलने की इच्छा होने पर पुरुष के प्रयत्न से ताल, जीभ आदि की क्रिया से शब्द निर्माण होता है। अतः शब्द को कृत कहा गया है। इसके विरोध में प्रतिपक्षियों का मत है कि तालु आदि की क्रिया शब्द को सिर्फ व्यक्त करती है- उत्पन्न नहीं करती। ___ उपरोक्त कथन उचित नहीं है। तालु आदि की क्रिया में और शब्द में नियत अन्वयव्यतिरेक संबंध पाया जाता है- क्रिया हो तो शब्द उत्पन्न होता है, क्रिया न हो तो शब्द उत्पन्न नहीं होता है। अत: तालु आदि की क्रिया को शब्द का उत्पादक ही मानना चाहिए व्यक्त होने वाली और व्यक्त करने वाली वस्तुओं में नियत अन्वयव्यतिरेक नहीं पाया जाता- 'दीपक हो तो घर है, दीपक नहीं हो तो घर नहीं होता' यह कहना संभव नहीं है। शब्द नित्य और सर्वगत है अत: तालु आदि की क्रिया होने पर नियमत: शब्द व्यक्त होता है। यह कहना भी उचित नहीं। शब्द नित्य नहीं तथा शब्द सर्वगत भी नहीं है क्योंकि वह बाह्य इन्द्रियों से ज्ञात होता है। इस प्रकार शब्द की अनित्यता स्पष्ट होती है। तदनुसार शब्दसमुह रूप वेद भी पौरूषेय व अनित्य सिद्ध होते हैं। अत: वेद अपौरूषेय अतएव प्रमाण है। यह कहना उचित नहीं हैं। ७. वेदों का बाधित विषयत्व ___ आचार्य भावसेन के मतानुसार वेद अप्रमाण है क्योंकि वे आप्त पुरूष-सर्वज्ञ द्वारा प्रणीत नहीं है। इसके मत के प्रतिपक्षी आक्षेप करते है कि मीमांसकमतानुसार वेद सर्वज्ञप्रणीत न हो, किंतु नैयायिक मतानुसार तो वेद सर्वज्ञ- ईश्वरप्रणीत हैं। इसके समर्थन में कथन है अनन्तरं तु वक्त्रेभ्यो वेदास्तस्य विनिःसताः। प्रतिमन्वन्तरं चैव श्रुतिरन्या विधीयते।। ___ “तदन्तर ईश्वर के मुखों से वेद निकले। इस प्रकार प्रत्येक मन्वन्तर मे भिन्न-भिन्न वेद की उत्पत्ति होती है।" आचार्य के अनुसार ईश्वर सर्वज्ञ नहीं हो सकता। अतः ईश्वर प्रणीत होने पर भी वेद प्रमाण नहीं हो सकते। वेद के अप्रमाण होने का एक यह भी कारण है कि उसका कथन प्रमाणबधित है। वेदवाक्यों के विभिन्न वैदिक दर्शन बाधित समझते हैं। वेदवाक्यों में परस्पर विरोध भी है जैसे
SR No.006157
Book TitleParamarsh Jain Darshan Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSavitribai Fule Pune Vishva Vidyalay
Publication Year2015
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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