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________________ जैन दर्शन में स्त्री-मोक्ष संबंधी विचार- एक दार्शनिक समीक्षा . ४७ अण्डनाश है। जबकि पुरुष के एक वीर्यपात में कुछ लाख शुक्राणु नाश है। ३. अशुद्ध मन संबंधी तर्क : ___ कुंदकुंदाचार्य का तर्क है कि स्त्रियाँ आवश्यक रूप से पुरुष से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर निकृष्ट होती हैं। लेकिन यह तर्क पूरी तरह एक हठवाद है और पर्याप्त प्रमाणों पर आधारित नहीं है। शारीरिक कमजोरी को मुख्य तर्क नहीं माना जा सकता क्योंकि मोक्ष के लिए जो आवश्यक है वह है मानसिक, आध्यात्मिक शक्ति न कि शारीरिक शक्ति। दिगंबर आचार्य यह स्थापित करने में असफल रहै हैं कि स्त्रियाँ आत्मसंयम नहीं रख सकती क्योंकि वे स्त्री हैं। मनोभाव और अर्धमनोभाव (passions and quasipassions) संबंधी समस्या सभी मनुष्यों के लिए है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। किंतु चूँकि जैन परंपरा के अनुसार वे सभी जीव हैं और जीव में स्वयं को नियंत्रित करने के लिए तात्त्विक रूप से अनंत वीर्य की क्षमता होती है। अतः ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि क्योंकि स्त्रियाँ इस क्षमता का प्रयोग नहीं कर सकती। ___ यदि हम दिगंबरों के विरुद्ध श्वेतांबर और यापन्नीयों के तर्कों के बीच तुलना करें तो हम पाते हैं कि जैन परंपरा में स्त्रियों के समर्थन में तर्क मजबूत से मजबूत होता गया है। आचार्य मेघविजय में हम स्त्रियों के मोक्ष संबंधी समर्थन का एक ठोस प्रमाण पाते हैं। यापन्नीयों के तर्क सामान्यतया रक्षात्मक हैं वहीं दूसरी ओर मेघविजय के तर्क अधिक आक्रामक और ठोस हैं। यापनीय यह दिखाने का प्रयास करते हैं किं स्त्रियाँ पुरुषों के समान हैं बल्कि मेघविजय का तर्क यह दर्शाता है कि कुछ पहलुओं में स्त्रियाँ पुरुषों की तुलना में उत्कृष्ट और श्रेष्ठ होती हैं। संदर्भ एवं टिप्पणियाँ 'प्रस्तुत शोध पत्र प्रो. पी.पी.गोखले के मार्गदर्शन में किये गये लेखक के एम.फिल.शोध निबंध पर आधारित है। १. एक अपवाद जो उनको अनुमन्य था वह भी रजोहरण, एक झाडू जिसका उपयोग वह अपने बैठने के स्थान को साफ करने के लिए प्रयोग करते थे और एक कमंडलू जो उनके नित्यक्रिया में उपयोग होने वाले जल का पात्र था। २. जैनी, पी.एस. जेन्डर एन्ड साल्वेशन, मुन्शीलाल मनोहरलाल पब्लिशर्स, (प्रा.) लि., दिल्ली, १९९१, पृ. ३४-३५
SR No.006157
Book TitleParamarsh Jain Darshan Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSavitribai Fule Pune Vishva Vidyalay
Publication Year2015
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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