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जैन दर्शन में स्त्री-मोक्ष संबंधी विचार- एक दार्शनिक समीक्षा
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३. ऐसा कोई अंतिम नियम भी नहीं है कि मोक्ष केवल उन्हीं के लिए संभव है
जिन्होंने जिनकल्प का पूर्ण परित्याग कर दिया है आदि। और न ही उन • भिक्षुओं के लिए है जो स्थविरकल्प के निषेध-आज्ञाओं का अनुपालन करते
दिगम्बर कहते हैं कि यदि यह स्वीकार कर लिया जाए कि मोक्ष वस्त्र पहनने पर ही संभव है तब यह एक साधारण आदमी के लिए संभव क्यों नहीं? यापन्नीयों का उत्तर है कि गृहस्थी में परिग्रह की भावना होती है और चूँकि वह किसी निरोध या अनुशासन के अंतर्गत वस्त्र नहीं पहनता (साध्वी से भिन्न), वह बिना किसी पूर्ण निग्रह के जीवन जीता है। अतः वह मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकता।
आगे प्रतिपक्ष में कुंदकुंदाचार्य कहते हैं कि जैसा कि आगमों में कहा गया है, पुरुषों का स्थान स्त्रियों से ऊँचा है। स्त्रीयों को छोटा या कमजोर प्राणी के रूप में देखा गया है। इसलिए यह नियम मोक्ष प्राप्ति के विषय में भी लागू होता है। ___ इस बिंदु पर यापनीय कहते हैं कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि 'सिद्ध' अवस्था न ही पुरुषवादी होती है न ही स्त्रीवादी। इसलिए महाव्रतों के संबंध में पुरुष
और स्त्री का स्तर समान है। हालाँकि आगमों में यह उल्लिखित है कि स्त्रियाँ दोषपूर्ण, अग्रह, चंचल आदि होती हैं। किंतु पुरुष भी ऐसे दोषपूर्ण, अशुद्ध और चंचल होते हैं। क्योंकि इन दोषों से उत्पन्न कर्मों के संबंध में स्त्री-पुरुष जैसा कोई भेद नहीं किया गया है। बल्कि ऐसी साध्वियाँ हुई हैं जो आगमों में अपने सत्व के कारण प्रसिद्ध हैं। कुछ मुख्य साध्वियाँ जैसे-ब्राह्मी, सुंदरी, रिजुमती, चंदना आदि है। गृहस्थ जीवन में भी सीता जैसी स्त्रियाँ हैं, जो अपने सदाचरण और अपने सत्त्व के कारण जानी जाती हैं। अतः कैसे इन स्त्रियों को तप करने में असक्षम और पवित्र आचरण से रहित माना जा सकता हैं ? इसके अतिरिक्त यापन्नीय आगमों से उस कथन का भी उल्लेख करते हैं जिसमें कहा गया हैं कि स्त्री-पुरुष दोनों के लिए चौदह गुणस्थान उपलब्ध हैं। अतः इस विचार को स्वीकार करना संभव नहीं है कि स्त्रियाँ निर्वाण नहीं प्राप्त कर सकती क्योंकि ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। आचार्य प्रभाचंद्रसूरी के स्त्री मुक्ति संबंधी विचार : ___ आचार्य प्रभाचंद्रसूरी' - यापन्नीयों के साथ चर्चा का प्रारंभ दिगंबरों के दृष्टिकोण से शुरू करते हैं। जैसा कि यापन्नीय कहते हैं कि स्त्रियों के लिए भी निर्वाण शक्य है