________________
'मूकमाटी' महाकाव्य में अभिनव अर्थबोधक शब्द-प्रयोग
डॉ. तिलक सिंह
I
भाषा-वैज्ञानिक दृष्टि से एक शब्द का एक ही अर्थ होता है। शब्द से उत्पन्न मस्तिष्कगत बिम्ब ही उसका अर्थ है। एक बिम्बी शब्द एकार्थी होते हैं । काव्यकृतियों में एकार्थी शब्दों का प्रयोग ही अधिक होता है । समर्थ रचनाकार एक-सन्दर्भी शब्द को अपनी प्रतिभा तथा क्षमता के अनुसार बहु- सन्दर्भी बना देता है । कभी-कभी एक क्षेत्र विशेष से सम्बद्ध शब्द रचनाकार की बहुआयामी प्रतिभा का सम्पर्क तथा संस्पर्श पाकर पृथक् क्षेत्र में प्रयुक्त होने लगता है । वास्तविकता यह है कि विचार-भेद से शब्द बहुअर्थी बन जाता है । बहुचर्चित रचनाकार विद्यासागर ने अपने अभिनव महाकाव्य 'मूकमाटी' में कथ्य की नवीनता साथ-साथ अनेक शब्दों का भी अभिनव अर्थों में प्रयोग किया है । 'मूकमाटी' महाकाव्य में अभिनव अर्थबोधक शब्दों के प्रयोग की निम्नलिखित दो पद्धतियाँ प्रयुक्त हुई हैं :
१. संक्रमण की पद्धति
२. शब्दों के वियोग की प्रक्रिया
भाषा - विज्ञान में संक्रमण ( जंक्चर) की प्रक्रिया अपना विशेष महत्त्व रखती है। संक्रमण दो प्रकार का माना
गया है :
१. बद्ध संक्रमण (क्लोज्ड जंक्चर)
२. मुक्त संक्रमण (ओपन जंक्चर)
बद्ध संक्रमण में शब्द मूल या अविकल रूप में प्रयुक्त होता है। शब्द रचनास्तर पर यह तीन प्रकार का माना जा
सकता है :
१. एकल शब्द के प्रयोग द्वारा उत्पन्न बद्ध संक्रमण
२. व्युत्पन्न शब्द के प्रयोग द्वारा उत्पन्न बद्ध संक्रमण
३. यौगिक या सामासिक शब्द के प्रयोग द्वारा उत्पन्न बद्ध संक्रमण
मुक्त संक्रमण की प्रक्रिया में शब्दगत ध्वनियों के प्रयोग-स्थान को परिवर्तित करके व्युत्पन्न शब्द द्वारा अभिनव अर्थ की सर्जना की जाती है। 'मूकमाटी' में बद्ध संक्रमण के उक्त तीनों रूप प्रयुक्त परिलक्षित होते हैं । उक्त कृति में मुक्त संक्रमण की निम्नलिखित प्रक्रिया प्रयुक्त परिलक्षित होती है :
१. शब्दगत ध्वनि परिवर्तन द्वारा
२. शब्दगत पूर्वप्रत्यय द्वारा
३. शब्दगत परप्रत्यय द्वारा
शब्दगत ध्वनि-परिवर्तन द्वारा मुक्त संक्रमण उक्त काव्यकृति में निम्नलिखित रूपों में प्रयुक्त हुआ है :
१. शब्दगत ध्वनि के स्थान परिवर्तन द्वारा
२. द्वित्व (द्वित) ध्वनि प्रयोग द्वारा
३. संयुक्त ध्वनि प्रयोग द्वारा
शब्दगत ध्वनि के प्रयोग-स्थान को परिवर्तित कर देने से एक ही शब्द अलग-अलग अभिनव अर्थों का बोधक बन जाता है । 'मूकमाटी' में अभिनव अर्थबोधन की यह प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावी परिलक्षित होती है । नीचे के उदाहरणों में इसे देखा जा सकता है :