SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मूकमाटी-मीमांसा :: 17 की आधुनिक दृष्टि का आभास होता है : "लगभग यात्रा आधी हो चुकी है/यात्री-मण्डल को लग रहा है कि गन्तव्य ही अपनी ओर आ रहा है ।/कुम्भ के मुख पर प्रसन्नता है प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण/परिश्रमी विनयशील/विलक्षण विद्यार्थी-सम।"(पृ.४५५) ___'मूकमाटी' सन्त काव्य की आधुनिक परम्परा को अग्रसर करने वाला काव्य है जो अपने चारों ओर की विकृतियों से विक्षुब्ध है । मनुष्य का धरातल कैसे उठे, यह इस काव्य की मूल चिन्ता है। पर कवि आशावादी है ,क्योंकि वह जानता है कि : "माटी को निद्रा/छूती तक नहीं"(पृ. १८)। वह चिरन्तन जागरण का प्रतीक है । सन्त की यही स्थिति है : “या निशा सर्वभूतानां, जागर्ति तस्यां संयमी" (गीता, २/६९) जो अन्धकार में भी अलख जगाए, वह है सन्त । कवि का चिरन्तन विश्वास है: "कृतघ्न के प्रति विघ्न उपस्थित/करना तो दूर, विघ्न का विचार तक नहीं किया मन में। निर्विघ्न जीवन जीने हेतु/कितनी उदारता है धरती की यह ! उद्धार की ही बात सोचती रहती/सदा - सर्वदा सबकी।" (पृ. १९४-१९५) जीवन का यह संस्पर्श 'मूकमाटी' को सन्त काव्य परम्परा में एक विशिष्ट स्थान का अधिकारी बनाता है, जहाँ कवि ने मूल्यहीन समय में, नए मूल्य-संसार के सन्धान का निष्ठावान् प्रयत्न किया है। 'मूकमाटी' : एक अनुपम कृति पुष्कर लाल केडिया आचार्य श्री विद्यासागर प्रणीत महाकाव्य 'मूकमाटी' एक अनुपम कृति है । माटी की महिमा और गरिमा जगत् में सर्वत्र व्याप्त है। इस महाकाव्य ने मूकमाटी को भाषा दी है और उसे पूर्ण चैतन्य रूप में सामने ला खड़ा किया महाकाव्य में भाषा का प्रवाह और सौन्दर्य हृदयग्राही है । यह कृति हिन्दी के महाकाव्यों की परम्परा में अपनी नवीनता के लिए समादृत होगी। ___मूकमाटी' काव्य के निकष पर शत-प्रतिशत उत्कृष्ट प्रमाणित होगी और इससे हिन्दी काव्य का भण्डार समृद्ध होगा। मैं 'मूकमाटी' के प्रणेता को अपनी प्रणति देता हूँ। . डा० मिल-मिल मिल-मिल----- गुत कम युनने को मिलाय।
SR No.006156
Book TitleMukmati Mimansa Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhakar Machve, Rammurti Tripathi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2007
Total Pages648
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy