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मूकमाटी-मीमांसा :: 459
पक्षों से उन्होंने उपमान चुने हैं। निम्नलिखित उदाहरणों से उनके उपमान-चयन की प्रक्रिया को समझा जा सकता है :
० "तन का बल वह/कण-सा रहता है/और
मन का बल वह/मन-सा-रहता है।" (पृ. ९६) ० "शान्त, रस है/ नदी की भाँति !" (पृ. १५५) 0 "पलाश की हँसी-सी साड़ी पहनी
गुलाब की आभा फीकी पड़ती जिससे ।" (पृ. २००) उपर्युक्त तीनों छन्दों में अभिनव उपमान प्रयुक्त हुए हैं। अत: 'मूकमाटी' महाकाव्य में प्रस्तुत बिम्बों तथा प्रतीकों का अध्ययन की समस्त पद्धतियों की दृष्टि से मूल्यांकन किया जा सकता है।
बिम्ब तथा प्रतीक लोकजीवन से अधिक चुने गए हैं। अत: 'मूकमाटी' महाकाव्य में प्रयुक्त बिम्बों तथा प्रतीकों का अध्ययन की समस्त पद्धतियों की दृष्टि से मूल्यांकन किया जा सकता है।
रचनाकार ने 'मूकमाटी' महाकाव्य में अनेक प्रकार के छन्दों का प्रयोग किया है। प्रत्येक छन्द भावों तथा विचारों को सार्थक अभिव्यक्ति प्रदान करता है । छन्द कहीं भी, किसी भी स्तर पर भावों तथा विचारों के प्रवाह में बाधक नहीं हैं। एक ही सर्ग में अनेक प्रकार के छन्द प्रयुक्त हुए हैं। परम्परागत छन्दों के अतिरिक्त अभिनव छन्द अधिक प्रयुक्त हुए हैं। 'मूकमाटी' महाकाव्य में प्रयुक्त छन्दों का मूल्यांकन अध्ययन की विभिन्न पद्धतियों की दृष्टि से किया जा सकता है। यह मूल्यांकन भी भारतीय तथा भारतीयेतर साहित्य के छन्द-विधान के सन्दर्भ में भी सम्भव है।
पृष्ठ ५३ बीज का वपन लिया है.- उस पकी फसलको
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