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456 :: मूकमाटी-मीमांसा
तथ्य संकलन से लेकर वर्गीकरण-विभाजन, समायोजन-विश्लेषण तथा विवेचन समस्त रचना-विधान में तार्किकता, क्रमबद्धता, प्रामाणिकता, वस्तुनिष्ठता तथा वैज्ञानिकता आदि गुण अनुस्यूत रहते हैं । पृष्ठ १०९ पर तीसरे छन्द की पंक्तियों में शोधी रचनाकार ने स्पष्ट संकेत किया है कि अनुपयुक्त, अनावश्यक तथा अनपेक्षित विश्लेषण - विवेचन से तथ्यगत तत्त्व स्पष्ट नहीं होता बल्कि तथ्यगत सत्य का सही मूल्यांकन तिरोहित हो जाता है। रचनाकार का अभिमत है कि विश्लेषण-विवेचन, संयमित, सन्तुलित तथा सारगर्भित होना चाहिए। अनावश्यक शब्दावली, अनपेक्षित वाक्य - रचना तथा शब्दों के जाल से तथ्यगत सत्य अथवा तत्त्व की रक्षा करनी चाहिए। पृष्ठ ३७५ पर अन्वेषी रचनाकार का अभिमत है कि शोधक को आत्मनिष्ठता तथा वस्तुनिष्ठता के मध्य स्पष्ट विभाजक रेखा खींचनी चाहिए। अर्थात् तथ्यों का प्रकृति तथा प्रत्यय-स्तर पर विश्लेषण करके तथ्यगत तत्त्व को प्रकार्य के आधार पर स्पष्ट करना शोधक का सच्चा दायित्व है ।
'मूकमाटी' महाकाव्य का शोध की दृष्टि से मूल्यांकन निम्नलिखित बिन्दुओं पर किया जा सकता है :
१. साहित्य शोध ।
२. साहित्येतर शोध ।
३. भाषावैज्ञानिक शोध ।
४. भाषेतर शोध ।
साहित्य सम्बन्धी शोध को साहित्य रचना के तत्त्वों की दृष्टि से निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा
सकता है :
१. कथा संरचना, प्रयोग तथा प्रकार्य से सम्बन्धित शोध ।
२. भाव निरूपण तथा रस - प्रयोग की दृष्टि से सम्बन्धित शोध ।
३. वैचारिकता तथा दार्शनिक दृष्टि से सम्बन्धित शोध । ४. भाषा शोध ।
५.
कला अथवा शिल्प-विधान से सम्बन्धित शोध ।
साहित्येतर शोध को साहित्येतर विषय - भेद से निम्नलिखित भागों में विभक्त कर सकते हैं :
१. मूकमाटी महाकाव्य का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन ।
२. मूकमाटी महाकाव्य का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन ।
३. मूकमाटी महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन ।
४. मूकमाटी महाकाव्य का राजनीति - वैज्ञानिक अनुशीलन ।
५. मूकमाटी महाकाव्य का नीतिशास्त्रीय मूल्यांकन ।
भाषा वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से मूक माटी पर निम्नांकित प्रकार के शोध कार्य किए जा सकते हैं:
:
१. मूकमाटी महाकाव्य का ध्वनि - वैज्ञानिक अनुशीलन ।
२. मूकमाटी महाकाव्य का शब्द - वैज्ञानिक परिशीलन ।
३. मूकमाटी महाकाव्य का पद - वैज्ञानिक मूल्यांकन ।
४. मूकमाटी महाकाव्य में प्रयुक्त आधारभूत शब्दावली का वैज्ञानिक अध्ययन ।
५. मूकमाटी महाकाव्य में प्रत्यय प्रयोग ।
६. मूकमाटी महाकाव्य में परसर्ग - विधान ।