________________
372 :: मूकमाटी-मीमांसा
की है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है । अनेक शब्दों के समान रूप होने पर भी भिन्न अर्थ की परिकल्पनाएँ कवि प्रतिभा की परिचायक हैं। नई भावभंगिमा से युक्त शब्दों की विश्लेषण प्रक्रिया पाठक की बुद्धि को भी चमत्कृत कर जाती है। शब्दों की व्युत्पत्ति, उनके अन्तरंग अर्थों की झाँकी और नए आयामों को छूती भाषा अपनी उपमा स्वयं बन गई
है।
'कुम्भकार' शब्द को व्याख्यायित किया है :
" 'कुं' यानी धरती/और/'भ' यानी भाग्य-/यहाँ पर जो
भाग्यवान् भाग्य-विधाता हो/कुम्भकार कहलाता है।" (पृ. २८) साहित्य शब्द को इन भावों में परिभाषित किया है :
"शिल्पी के शिल्पक-साँचे में/साहित्य शब्द ढलता-सा! 'हित से जो युक्त-समन्वित होता है/वह सहित माना है/और सहित का भाव ही/साहित्य बाना है,/अर्थ यह हुआ कि जिसके अवलोकन से/सुख का समुद्भव – सम्पादन हो,
सही साहित्य वही है...।" (पृ. ११०-१११) कवि ने शब्दों के सम्पूर्ण अर्थ की गवेषणा के द्वारा बोध की अनुभूति को आचरण में उतारने की प्रक्रिया को ही आत्मशोध का रूप माना है । जड़ को जड़त्व से मुक्त कर मुक्ताफल का रूप देना ही जीवन का लक्ष्य बताया है।
कवि ने रसों की मौलिक व्याख्या प्रस्तुत करके प्रकृति के उपकरण षट् ऋतुओं के वर्णन के द्वारा तत्त्व दर्शन को रूपायित किया है । 'उत्पाद-व्यय-ध्रौव्ययुक्तं सत्' सूत्र को व्यावहारिक भाषा में अनूदित करके सहज बोधगम्य बनाया
“आना, जाना, लगा हुआ है/आना यानी जनन-उत्पाद है जाना यानी मरण-व्यय है/लगा हुआ यानी स्थिर-धौव्य है
और/है यानी चिर-सत्/यही सत्य है यही तथ्य!" (पृ. १८५) 'मूकमाटी' में मुक्त छन्द का प्रयोग होने पर भी उसकी भाषा में एक प्रवाह है । गीत व संगीत की स्वर लहरी यत्र-तत्र प्रस्फुटित होती प्रतीत होती है। आपने संगीत के सात स्वरों की मौलिक व्याख्या प्रस्तुत कर अपनी विद्वत्ता का परिचय दिया है :
"सारे ग"म यानी/सभी प्रकार के दुःख प'ध यानी पद-स्वभाव/और/नि यानी नहीं,
दु:ख आत्मा का स्वभाव-धर्म नहीं हो सकता।" (पृ. ३०५) पुरुषार्थ से ही मनुष्य आत्मा का उद्धार कर पाता है।
____ काव्य में अलंकृत भाषा का प्रयोग हुआ है । भाषा के सहज प्रवाह में अलंकार भावों का अनुसरण करते हैं पर कहीं उसका स्वरूप बोझिल हो गया है, फिर भी अलंकारों का सहज सौन्दर्य काव्य को गरिमा प्रदान करता है । शब्दालंकारों में यमक, श्लेष एवं अनुप्रास की अन्वय शक्ति के माध्यम से नई अर्थ-व्यंजना की है तो अर्थालंकारों में