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________________ मूकमाटी-मीमांसा :: 143 0 “अब धन-संग्रह नहीं,/जन-संग्रह करो !/और/लोभ के वशीभूत हो अंधाधुन्ध संकलित का/समुचित वितरण करो/अन्यथा धनहीनों में/चोरी के भाव जागते हैं/जागे हैं। चोरी मत करो, चोरी मत करो/यह कहना केवल धर्म का नाटक है/उपरिल सभ्यता "उपचार !" (पृ. ४६७) __ "जब तक जीवित है आतंकवाद/शान्ति का श्वास ले नहीं सकती धरती यह।” (पृ. ४४१) (२०) यह आचार्य विद्यासागरजी की काव्य-साधना (शब्द-साधना) का ही परिणाम है कि इन्होंने 'दृष्टि' को स्वाद्य बनाया है : "रावण ने सीता का हरण किया था/तब सीता ने कहा था : यदि मैं /इतनी रूपवती नहीं होती/रावण का मन कलुषित नहीं होता और इस/रूप-लावण्य के लाभ में/मेरा ही कर्मोदय कारण है,/यह जो कर्म-बन्धन हुआ है/मेरे ही शुभाशुभ परिणामों से ! ऐसी दशा में रावण को ही /दोषी घोषित करना अपने भविष्य-भाल को/और दूषित करना है।"(पृ. ४६८-४६९) (२१) महाकवि आचार्य विद्यासागरजी की शब्द-साधना पर महान् आश्चर्य तब होता है जब हमें यह पता चलता है कि इन्होने अक्षर-अक्षर में शब्द की अर्थ-झंकार अन्वेषित की हैं, शब्द-शब्द में अभिव्यक्ति की तान ढूँढ़ी है और वाक्य-वाक्य में पूरे जीवन-दर्शन को समाहित किया है। इनकी व्युत्पत्तिपरक एवं निरुक्तिपरक काव्यात्मकता में इस तथ्य को भलीभाँति देखा जा सकता है। - कुछ अव्याकरणीय शब्द-प्रयोग कहीं-कहीं अवश्य खटकते हैं। पृ. ४३९ पर 'मूसलाधार'को 'मूसलधार' होना चाहिए, पृ.४३८ पर 'तामसता' की जगह 'तमस' होना चाहिए तथा पृ. ४८२-४८३ 'सजनशील' के स्थान पर 'सृजनशील' होना चाहिए। (२२) शब्द-प्रयोगों के विश्लेषण से इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि आचार्यजी पहले कवि हैं और बाद में सन्त। अभिव्यक्ति के स्तर पर मैं जब 'मूकमाटी' की समीक्षा करता हूँ, तो आचार्यजी पहले दार्शनिक के रूप में आते हैं और बाद में कवि के रूप में । जब मैं 'मूकमाटी' का समग्र अध्ययन करता हूँ तो आचार्यजी दार्शनिक-सन्त कवि के रूप में हमारी प्रतिष्ठा के अधिकारी होते हैं। आचार्यजी की दृष्टि कविता के सहारे सहृदयों तक पहुँचती है और इनकी कविता दृष्टि के सहारे सहृदयों को आन्दोलित करती है । इसके पीछे इनकी शब्द-साधना का अपरिहार्य सहयोग है।
SR No.006155
Book TitleMukmati Mimansa Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhakar Machve, Rammurti Tripathi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2007
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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