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________________ कला स्त्री 290 :: मूकमाटी-मीमांसा २. गद-हा गधा चिन्ता, कष्ट एवं रोग दूर करने वाला ३. क-ला सुख लाने वाली ४. मैं दो-गला अविश्वसनीय 'अहं' को गलाओ ५. सा-रे-ग-म-प-ध-नि सप्त स्वर (१) सारे दुःखों को दूर करने वाला संगीत (२) सप्तभंगीय संगीत नारी न-अरि (शत्रुताविहीन) न-आरी (बाधकहीनता) ७. महिला मंगलमय, आस्था जगाने वाली, पुरुष को मार्ग बताने वाली, मठा-महेरी पिलाने वाली ८. कुमारी कुमारी लक्ष्मी एवं धैर्य देने वाली ९. अब-ला, अ-बला ज्ञान ज्योति लाने वाली, संकट शून्य करने वाली, वर्तमान को सुखमय करने वाली १०. स्त्री धर्म, अर्थ, काम में संयत बनाने वाली ११. सुता सुख-सुविधाओं का स्रोत १२. दु-हिता लड़की दो कुलों का हित करने वाली, स्वयं एवं पति का हित करने वाली १३. मातृ माता जानने की शक्ति देने वाली १४. अंग-ना मात्र बाह्य अंग नहीं अपितु अन्तरंग भी १५. भीरु डरनेवाला पाप-भीरुता १६. नि-यति भाग्य निज की उन्नति में यत्न करना १७. स्वप्न स्वप्न स्वयं के स्वरूप का पालन न करने वाला १८. वै-खरी/वै-खली वाणी का तीसरा निश्चित रूप से खरी (सुख-सम्पादिका), स्व-पर के लिए वैरी १९. पुरुषार्थ जीवन का उद्देश्य आत्मा की प्राप्तव्यता २०. उरग पद दलितों को उर (प्रेम) से सहलाने वाला २१. धर-ती (तीर-थ) पृथ्वी शरणागत को तीर पर धारण करने वाली २२. धर-णी (नीर-ध) जलधारणी २३. राही (हीरा-विलोम रूप) पथिक हीरे के समान उत्तम बनना २४. राख (खरा-विलोम रूप) राख तप द्वारा खरा -उत्तम जीवन प्राप्त करना २५. दया (याद-विलोम रूप) दया स्व की याद करना २६. तामस(समता-विलोम रूप) तमोगुणा,कालिमा समता (माटी की) २७. वसु-धा पृथ्वी रत्न/धन धारण करने वाली २८. लाभ(भला-विलोम रूप) हितकर भला २९. न-मन, नम-न विनम्रता निरभिमानी होना, अभिमानी होना ३०. सं-गीत संगीत संगातीत स्त्री सर्प पृथ्वी
SR No.006154
Book TitleMukmati Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhakar Machve, Rammurti Tripathi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2007
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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