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200 :: मूकमाटी-मीमांसा
के उत्कर्ष पर एक ऐसा बिन्दु आता है, जहाँ न शब्द है-न अर्थ है, न गति है-न अगति है, न नृत्य है-न अनृत्य है, न अस्ति है-न नास्ति है । अगर है तो केवल 'शान्त बिन्दु' जिसे इलियट ने अपने ‘फोर क्वार्ट' में 'स्टिल प्वाइन्ट'(StillPoint) कहा है । इसमें जड़-चेतन, देश-काल, रूप-अरूप, स्थाणु-क्षिप्र सभी विपरीतताएँ रीत जाती हैं और रह जाता है केवल शान्त बिन्दु (Still-Point)।
"इसीलिए इन/शब्दों पर विश्वास लाओ,/हाँ, हाँ !! विश्वास को अनुभूति मिलेगी/अवश्य मिलेगी/मगर मार्ग में नहीं, मंजिल पर!/और/महा-मौन में/डूबते हुए सन्त.. और माहौल को/अनिमेष निहारती-सी/''मूकमाटी।" (पृ. ४८८)
पृष्ठ १९३ तथापि . विचार करे तोउसका स्वभाव तो छलना है।
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