SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ G006 “सांच को आंच नहीं" (0902 निषेध है, वह अपर्व में (५, १० पुनम, अमावस्या सिवाय में) पर्युषणा करने का निषेध है, ऐसा उसकी चूर्णि से स्पष्ट होता है तथा कल्पसूत्र में भादरवा सुद ५ के बाद पर्युषणा का निषेध तथा उसके पहले के पर्यों में अनुज्ञा दी है, जो निशीथ सूत्र से अविरुद्ध ही है। जो लोग शास्त्र में पर्युषणा (संवत्सरी) को भादरवा सुद ५ की नियत होना मानते है, उनके लिए यह समाधान है कि - पहली बात तो कल्पसूत्र के कर्ता भद्रबाहुस्वामी है, जबकि निशीथसूत्र के कर्ता निशीथ ग्रन्थ की प्रशस्ति के अनुसार 'विशाखाचार्य' है, अत: दोनों ग्रन्थों के कर्ता भिन्न है । अत: लेखक के द्वारा एक ही व्यक्ति द्वारा पूर्वापर विरुद्ध बातों का निरुपण करने की आशंका उठानी उचित नहीं है। दुसरी बात उत्सर्ग - अपवादमय जिनाशासनमें किसी ग्रन्थ में कोई बात उत्सर्ग से कही गयी हो, उसी बात का आपवादिक विधान अन्य ग्रंथ में हो सकता है ! योग्यता एवं गुरुगम के बिना सूत्रों के रहस्य नहीं मिल सकते है ! कोई उत्सर्ग सूत्र होता है, कोई अपवाद सूत्र होता है। इसलिए निशीथ सूत्र एवं कल्पसूत्र में कोई विरोध नहीं है। प्रश्न-१२ का उत्तर :- कल्पसूत्र में ग्रन्थकार द्वारा 'वयं' शब्द का प्रयोग होना व्याकरण से सिद्ध है । अत: उसमें कुशंकाओं की गुंजाईश नहीं रहती है । नियुक्तिकार सूत्र के हर शब्द की व्याख्या करे, ऐसा आग्रह रखना भी अनुचित है, अत: ठोस प्रमाण के बिना, सूत्रों में प्रक्षेप - प्रक्षेप की बाते करना केवल अरण्यरुदन जैसा होता है ! विद्धद्धर्ग उसे प्रमाणित नहीं करता है । इसका विशेष खुलासा पीछे “नमुत्थुणं पाठ के प्रक्षेप” की समीक्षा प्रकरण में दिया जा चुका है। प्रश्न-१३ का उत्तर :- लेखक महाशय ! आपने नंदी सूत्र निर्दिष्ट ७२ आगमों में से ४५ आगमों को ही मानने का कारण पुछा, उसके जवाब के पहले तो बड़ा प्रश्न यह उठता है कि आप ३२ आगम ही क्यों मानते हो और २० प्रकीर्णक में से एक भी प्रकीर्णक क्यों नहीं मानते हो ? . 93 .
SR No.006136
Book TitleSanch Ko Aanch Nahi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2016
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy