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________________ "सांच को आंच नहीं" ०००÷ है। दुसरे के शरीर के स्पर्शमात्र से अनेक रोगों के जर्म्स का वपन करता है ।' ६. ऋतुवंती स्त्री की दृष्टि से नये पापड-बडी का काला पडना, उसकी छाया से भी पापड - वडी में विकृति अनेकों को अनुभव सिद्ध है । ७. रेशम और शक्कर के कारखानों में प्रयोग द्वारा सिद्ध किया गया है कि नया रेशम और शक्कर ऋतुवंती स्त्री की हाजरी से काली पडते है । ८. 'नवनीत' गुजराती डायजस्ट १९६२ सप्टेंबर के अंक में कहा है कि - मक्का में रहा 'असवद' नाम का पत्थर जो मुसलमानों में पूजनीक है, वह रजस्वला स्त्री के स्पर्श से काला पडा । आज भी उसकी कालिमा मौजूद है । ९. ईसाइयों के बाईबल में भी कहा है कि “ स्त्रियों को मासिक प्रसंग में सात दिन अलग बैठना चाहिये ।” १०. अफ्रिका - कांगो नदी के तट के लोग, न्युजीलैंड में अमुक स्थलों में, दक्षिण अमेरिका ओरोनोकीनो की दरी में, साउथ आयलैंड, सीरिया वगैरह अनेक देशों में अलग-अलग रीति से मासिक मर्यादा का पालन करते हैं । चुस्त मुसलमानों में भी मासिक मर्यादाका पालन किया जाता हैं । इस प्रकार अनुभव से, लोक से, शास्त्र और विज्ञान से सिद्ध मासिक मर्यादा का निषेध करना ही वास्तव में मूढता है। जिन दिनों में लोक व्यवहार भी गर्हित है, दोषों के कारण है, उन दिनों में पवित्र धर्मानुष्ठान और परम पवित्र आगम के अर्थादि का स्वाध्याय कैसे हो सकता है ? यह तो मंदबुद्धि भी समझ सकता है । आशातना से बचने हेतु धर्मानुष्ठान न करे परंतु समय का सदुपयोग . करते हुए मनमें अनुप्रेक्षा करके धर्मध्यान में लीन होना चाहिये, यह पूर्वाचार्यों को इष्ट है । अगर कोई प्रमाद या अज्ञानता से सावद्य कार्य करें या आलस्य करें और घर में इधर – उधर चक्कर काटें, उसमें पूर्वाचार्यों का क्या दोष है ? किसी अयोग्य व्यक्ति को दीक्षा देने की मनाई करने पर, उस व्यक्ति के संसार में रहकर किये जानेवाले पापों का दोष क्या गुरु को लगता है ? नहीं । उसी तरह पूर्वाचार्यों द्वारा बनायी मर्यादाओं के हार्द को समझना एवं पालन करना जरुरी है, अन्यथा संसार वृद्धि हुए बिना नहीं रहती है । 64
SR No.006136
Book TitleSanch Ko Aanch Nahi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2016
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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