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________________ GG “सांच को आंच नहीं” (09002 आचारांग सूत्र में मोक समाचारी शब्द है, वहाँ पर स्पष्ट शब्दों में कार्यवशात् यानि कारणिक आपवादिक लेने का सूचन है, सार्वत्रिक नहीं । अत: मोक समाचार सार्वत्रिक नहीं है, जल के अभाव में रात्रि आदि में उसे आपत्कालीन समझना चाहिये । निशीथ सूत्र की चूर्णि गाथा नं. ८९८ में स्पष्ट रीति से कारणिक देश-उच्छोलणा बतायी है। ___“जेत्तियमेत्तं तु लेवेणंति असज्झातियमुत्तपुरीसादिणा जति सरीरावयवेण चलणादि गातं लेवाडितं तस्स तत्तियमेत्तं धोवे ।” मतलब कि मूत्र - पुरिस के अशुचि से शरीर का पैर वगैरह जितना भाग बिगडे उतना ही पानी से शुद्ध करें । अब पाठक खुद ही विचारें कि लेखक शास्त्रविरुद्ध उन्मार्ग की प्ररुपणा करते है या नहीं ? ... ५. निशीथ सूत्र में रात्रि में आहार पानी रखने का प्रायश्चित है, उससे आपत्काल में क्वचित् शरीरबाधा में मोकसमाचार सिद्ध होता है । दिन में और सार्वत्रिक नहीं। आगमशास्त्र में जहाँ पर यह आपवादिक बात बतायी है, वहीं पर रात को पानी रखने का अपवाद भी बताया ही है । अतः रात को पानी रखने में दोष और मोकसमाचारी निर्दोष कहना शास्त्र की अज्ञानता है । दोनों वस्तु आपवादिक है। ___अत: वर्तमानकाल में विशेष शुद्धि, धर्मनिंदा आदि के कारण आवश्यकता में रात्रि में पानी रखने की, पूर्वाचार्यों से आपवादिक गीतार्थ आचरणा चालु हुई है वह भी उचित ही है। ६. लेखक महाशय जो साधु - साध्वी को परस्पर एक-दुसरे का मूत्र लेना वगैरह लोक और शास्त्र विरुद्ध बात लिखते है, वह उनकी अज्ञानता है । सूत्र में तो उल्टा उसका स्पष्ट शब्दों में निषेध और प्रायश्चित बताया है। इसलिए शास्त्रकार भगवंत फरमाते है, ऐसे अयोग्यों के हाथ में शास्त्र जाने पर वह 'शस्त्र' बनता है । जिनशासन का और संघ का घातक बनता है । ऐसी विरुद्ध बातें छपवाने से स्पष्ट ही (लेखक श्री के शब्दों में) जिनधर्म को लजाकर शर्महीन बनते है और व्यर्थ ही लोक हंसी के पात्र बनते है। 61
SR No.006136
Book TitleSanch Ko Aanch Nahi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2016
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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