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कितना मूल्य
श्रावण वदि १४
जीवन मूल्यवान है ....
मनुष्य जन्म के द्वारा विश्व की मूल्यवान से मूल्यवान वस्तु भी प्राप्त हो जाती है, इसीलिए महापुरुषों ने मनुष्य जन्म की दुर्लभता का प्रतिपादन किया है। मनुष्य जन्म का महत्व यह नहीं है कि खाने को अच्छा मिला और पहनने को अच्छा मिला, अपितु धर्म रूपी रत्न प्राप्त करना ही अत्यन्त दुर्लभ है। अष्टापद पर्वत के ऊपर जब गौतम स्वामी पधारे उस समय भगवान् ने गौतम गणधर को कहा था- हे गौतम, मानव को मनुष्य जन्म मिलना अत्यन्त दुर्लभ है। यह संसार दुर्घटनाओं से भरा हुआ है, कब किसके साथ दुर्घटना घट जाए कह नहीं सकते। इसीलिए किसी भी समय क्षण मात्र प्रमाद मत कर! इस भागदौड़ के अन्त में हाथ में जो कुछ आता है वह अनन्त दुःख को देने वाला बनता है। दुर्लभ की प्राप्ति ....
अकबर बादशाह और बीरबल दोनों बैठे हुए हैं। उनके सामने से एक बहुत बड़ा जुलूस निकलता है। जुलूस में सम्मिलित व्यक्ति जोरजोर से चिल्ला-चिल्लाकर यह कहते हैं- हे अन्नदाता, हम भूखे मर रहे हैं। कुछ दो, कुछ दो। उनकी आवाजें सुनकर अकबर बीरबल को कहता हैये कौन लोग हैं जो चिल्ला रहे हैं। मुझे इनका चिल्लाना अच्छा नहीं लगता है। किसलिए भूखे मरते हैं? यदि पूरा खाजा खाने को नहीं मिलता है तो खाजे का चूरा ही खा लें। बीरबल कहता है- सम्राट इन लोगों ने दुनिया में खाजे का नाम भी नहीं सुना है। जहाँ सूखी रोटी का टुकड़ा भी मिलना कठिन होता है वहाँ खाजे की बात कैसी? सुखी को सुख की कल्पना में किसी भी दिन गरीब के प्रति विचार नहीं आता। हमें यह मनुष्य भव