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गुरुवाणी-१
जोड़ और तोड़ उसी क्षण यह नियम किया कि गुरुमहाराज के दर्शन और उनका उपदेश सुनने के बाद ही राजसभा में जाना । वस्तुपाल ने क्या नहीं जाना या समझा? फिर भी वे प्रतिदिन गुरु की वाणी सुनने के लिए जाते थे। हम प्रतिदिन क्या दवाई नहीं लेते हैं? जब तक वह दवा गुणकारी नहीं बन जाती है तब तक उसे लेते रहते हैं । उसी प्रकार यह धर्मवाणी जब तक हमको धर्मी न बना दे तब तक एक प्रकार की बातें होने पर भी हमें गुरुवाणी का श्रवण करना ही चाहिए।