________________
४३
गुरुवाणी-१
श्रेष्ठ दवा छुट्टी स्वीकार की है। हमारा शरीर भी एक मशीन रूपी कारीगर है, इसको भी एक दिन की छुट्टी तो मिलनी ही चाहिए । सप्ताह में दो नहीं तो एक उपवास तो करना ही चाहिए। फिर देखो तुम्हारे शरीर में क्या कोई रोग आता है? भगवान् महावीर का बताया हुआ तप जीवन में कितना अधिक उपयोगी है। इस तप से कर्मों का क्षय तो होता ही है, साथ ही यह तप आरोग्य के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। अठ्ठम अर्थात् तीन उपवास, आठ क्यों नहीं? अठ्ठम का अर्थ तो आठ होता है। अट्ठम किसे कहते हैं?....
शास्त्रकार कहते हैं- एक बार खाने वाला योगी, दो बार खाने वाला भोगी और तीन बार खाने वाला रोगी। अट्ठम अर्थात् आठ भोजन का त्याग । सामान्यतः प्रतिदिन के दो भोजन का त्याग याने तीन दिन के छ: भोजन का त्याग। प्रारम्भ के दिन में एकासणा और पारणे के दिन एकासणा। इस प्रकार आठ भोजन का त्याग होने से ज्ञानी पुरुषों ने इसका नाम अठ्ठम रखा है। अट्ठम का शुल्क.... ____ अमेरिका में एक डॉक्टर था। उसकी भारत के निवासियों पर बहुत श्रद्धा थी। उसको ऐसा लगता था कि हिन्दुस्तान के ऋषि-मुनियों ने तप को बहुत बड़ा महत्त्व दिया है, वह किस लिए? पश्चिम देश के
वैज्ञानिकों ने भोग की सामग्री अवश्य एकत्रित की, जबकि हमारे ज्ञानियों ने त्याग की सामग्री खड़ी की। वह डॉक्टर प्रतिदिन तप के ऊपर चिंतन करता है। चितंन करते हुए उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि इन समस्त रोगों की जड़ भोजन ही है। भारत के ज्ञानीजनों ने जो तप बतलाया है वह वास्तव में उत्कृष्ट है। रोगों का मूल भोजन और दवा दोनों ही है। उस डॉक्टर ने ऐसा प्रचार किया- दवा छोड़ो और उपवास करो। उसके इस प्रचार से लोगों को ऐसा लगने लगा यह डॉक्टर तो उपवास करवाकर लोगो को मार देगा। इस गलतफहमी के विचारों से लोगों में जोश पूर्वक हलचल मची