________________
शासन- महासद्भाग्य
२३
गुरुवाणी - १ शास्त्रकार कहते हैं- जिसमें आसक्ति होती है वहीं उत्पत्ति होती है। देवों की आसक्ति सर्वदा विमानों में जड़े हुए रत्न, बावड़ियाँ और उपवनों में ही रहा करती है । इसी कारण वे तिर्यंच गति में चले जाते हैं। कहाँ देवलोक और कहाँ पृथ्वी, पानी और वनस्पतिकाय के जीव । विचार करो, आसक्ति के कारण हम कहाँ फेंक दिये जाते हैं। सम्पत्ति मिल गई यह कोई बहुत बड़ा भाग्य नहीं है, किन्तु भगवान् महावीर का हमें शासन मिला है यह हमारा बहुत बड़ा सद्भाग्य है। जब संसार की भयानकता हमारे ध्यान में आती है तब ही मानव जन्म के क्षणों की अमूल्यता समझ में आती है।
000