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________________ ज्ञान का अञ्जन श्रावण वदि २ परिवर्तन आवश्यक कहाँ है? मानव ने स्वयं के रहन-सहन, व्यवहार आदि में लाखों वर्षों के अन्तराल में बहुत से परिवर्तन किए हैं। क्या पशु-पक्षियों में इस प्रकार का परिवर्तन देखने को मिलता है? लाखों वर्ष पहले भी जिस प्रकार पक्षी अपने रहने के लिए घोंसला बांधते थे उसी प्रकार आज भी बांधते हैं। जबकि मानव वर्षों पहले किस प्रकार के घर का निर्माण करते थे और आज किस प्रकार का निर्माण करते हैं? यह तो जानते हो न? मानव ने स्वयं के बाह्य वैभव में अनेक प्रकार के परिवर्तन किए हैं, किन्तु भीतर के अन्तर्वैभव में किसी प्रकार का परिवर्तन किया है? सत्संग की गंगा एक घड़ी आधी घड़ी आधी से पुनी आध। तुलसी संगत साधु की, कटे कोटि अपराध ॥ सज्जन पुरुषों का एक घड़ी अथवा आधी घड़ी जितना भी सत्संग जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन ला देता है। ___ एक सेठ थे। समृद्धिशाली थे। सेठ की अपेक्षा सेठानी का दिमाग कुछ अलग तरह का था। उसको अपने पति पर ऐसा गर्व था कि मेरे पति के आधार से ही सारा विश्व चल रहा है। एक दिन उस गाँव में कोई सन्त पुरुष पधारे। सन्त पुरुष की वाणी सुनने के लिए सारा गाँव उमड़ पड़ा। सेठ सेठानी को कहते हैं- सन्त पुरुष की वाणी सुनने के लिए चलें? सेठानी कहती है- ओह ! ऐसे भामटे की वाणी को सुनने के लिए क्या जाना? यह कहकर उस सन्त पुरुष का वह तिरस्कार करती है। कुछ दिनों के बाद वही बात को सेठ पुनः सेठानी को कहता है और सेठानी वापिस
SR No.006129
Book TitleGuru Vani Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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