________________
धर्म - जीवनशुद्धि
गुरुवाणी-१ विचार करें तो समझ में आता है कि बारह महीनों के नाम के लिए वर्ष शब्द का प्रयोग क्यों किया गया? ऋतुओं के नाम पर वर्ष का नाम क्यों नहीं रखा? इन छ: ऋतुओं में से वर्षा ऋतु के आधार पर ही बारह महीनों का नाम वर्ष शब्द से रखा इसका क्या कारण है? समझ में आता है की वर्षा अच्छी होती है तो बारह महीने भी अच्छे गुजरते हैं यदि वर्षा कम होती है या अधिक होती है तो सारा वर्ष ही बिगड़ जाता है, उसी प्रकार चौमासा शब्द का महत्व भी इसीलिए है कि चार महीनों के भीतर वीतराग प्रभु की वाणी का निरन्तर श्रवण होता रहता है और उस प्रभु की वाणी के श्रवण से जीवन में कुछ न कुछ परिवर्तन होता है। चौमासे में वाणिज्य-व्यापार कम होता है इसी कारण चौमासे में मनुष्य धर्मध्यान कर सकता है जिस प्रकार वर्षा की झड़ी लगती है। उसी प्रकार चौमासे में धर्म की भी झड़ी लगती है चौमासा आता है तो डॉक्टर का मौसम भी आ जाता है क्योंकि चौमासे में जब तप-जप आदि धर्मध्यान नहीं करते हैं तो स्वाभाविक रूप से रोग उत्पन्न होते ही हैं। यदि एक चौमासा भी सुख। आरोग्य पूर्वक सम्पन्न होता है तो सारी जिन्दगी ही सुधर जाती है। अरे! जीवन ही नहीं किन्तु धार्मिक संस्कारों का सिंचन हो जाए तो कई जन्म सुधर जाते हैं। यह तभी सम्भव है जब वीतराग की वाणी को हम अच्छी तरह से धारण कर सकें। इसीलिए चातुर्मास हेतु साधु-साध्वियों को आग्रह पूर्वक विनंती करके अपने यहाँ लाते हैं। मृत्यु एक मेहमान है ....
शास्त्रकार कहते हैं कि मनुष्य जन्म महान् दुर्लभ है विश्व की सभी योनियों के प्राणी यही इच्छा रखते हैं कि मुझे मनुष्य बनना है। क्या वह वास्तव में मनुष्य बन सकते हैं? जो जीव भयंकर यातनाओं के साथ दुःख/पीड़ा को भोग रहे हैं, वे जीव मनुष्य होते तो क्या वे उन पीड़ाओं को भोगते? आज मावन जीवन के रक्षण के लिए नियम