________________
११६
लोकप्रिय
गुरुवाणी-१ के पास पूछने के लिए जाए यह सम्भव नहीं होता है, किन्तु असाधारण मनोबल रखकर वे पूछने के लिए निकलते हैं। मन में चिन्तन चल रहा है। वे प्रौढ़ विद्वान् उस ब्राह्मण के घर पहुंचते हैं। उस समय वह ब्राह्मण अपने काम में व्यस्त था। बाहर से झाँकने पर और उस ब्राह्मण पर दृष्टि पड़ने मात्र से ही इस दिग्गज विद्वान् की शंका का समाधान हो गया। इसी कारण उस ब्राह्मण से बिना मिले ही अपने घर लौट आते हैं। कुछ दिनों बाद ही गुरु पूर्णिमा का दिन आता है। शिष्य समुदाय के साथ हाथ में आरती लेकर वह प्रौढ़ विद्वान् उस ब्राह्मण के घर पहुँचते हैं। उक्त महाविद्वान को अपने द्वार पर देखते ही वह ब्राह्मण तो दिङ्मूढ़ सा हो जाता है। काशी का महान् पण्डित उसके घर पर आयें, वह पागल सा हो जाता है। महाविद्वान् उस ब्राह्मण से कहता है - आप बैठिए, मुझे आरती उतारनी है। ब्राह्मण आश्चर्यचकित होकर पूछता है - यह सब क्या है? मेरे जैसे सामान्य ब्राह्मण की आप आरती उतारें? वह महापण्डित उसको बिठाकर सारी बात बतलाते हुए कहते हैं - आपके दर्शन मात्र से मेरी शंका का समाधान हो गया इसी कारण आप मेरे गुरु हैं। इस प्रकार का सर्वोच्च विनय जीवन में हो तो विद्वान् और महान् बना जा सकता है। विनय, यह सामान्य गुण नहीं है। शास्त्र का मूल ही विनय है। विनय/ नम्रता से ही मनुष्य लोकप्रिय बनता है।
चक्रवर्ती की समृद्धि किस प्रकार की है, जानते हो?८४ लाख घोड़े,८४ लाख हाथी, ९६ करोड़ सैनिक दल और १६ हजार देवता जिसकी सेवा में हाजिर रहते हैं। वह असीम बल का धारक होता है। एक अवसर्पिणी से उत्सर्पिणी के मध्य में बारह चक्रवर्ती होते हैं।