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सूत्र संवेदना-५
भाव ग्रहण करना अधिक योग्य लगता है । फिर भी इस विषय में श्रुतज्ञ स्वयं सोचें ।
जिज्ञासा : भावओ धम्मनिहिअनियचित्तो - इस विशेषण को अंतिम गाथा में रखने का क्या कारण है ?
तृप्ति : ‘भाव से धर्म में जिसका चित्त स्थापित हुआ है' ऐसा विशेषण अंतिम गाथा में रखा गया है । इसका कारण यह है कि पहली दो गाथा में गुणवान् आत्माओं के प्रति प्रमोदभाव और पूज्यभाव ज़रूरी है। जगत् के सभी जीवों के साथ समभाव या मित्रभाव रूप धर्म हृदय में प्रकट करना है, इसलिए अंत में समस्त जीवराशियों को एक करके कहा गया कि, आप सभी मेरे जैसे ही हों, मेरे मित्र हों, मित्रतुल्य आपके प्रति हुए अपराध के लिए मैं क्षमा माँगता हूँ ।