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सूत्र संवेदना-५ ___ अलग-अलग देश में जन्म लेनेवाली पद्मावती आदि कृष्ण की आठ पटरानियाँ थीं। अलग-अलग समय पर हुई शील की कसौटी पर सभी पार उतरी थीं। अंत में सब ने दीक्षा लेकर आत्मकल्याण किया था।
“धन्य है इन सतियों के सत्त्व और वैराग्य को जिन्होंने कृष्ण वासुदेव के वैभव को तुच्छ मानकर संयम का स्वीकार किया। सुकोमल काया को तप से तपाकर उसकी ममता का त्याग किया और अंत में शरीर और कर्म के बंधनों को तोड़कर मुक्ति सुख को प्राप्त किया।"
गाथा:
जक्खा य जक्खदिन्ना, भूआ तह चेव भूअदिना अ ।
सेणा वेणा रेणा, भइणीओ थूलभद्दस्स ।।१२।। संस्कृत छाया: यक्षा च यक्षदत्ता, भूता तथा चैव भूतदत्ता च ।
सेना वेना रेणा, भगिन्यः स्थूलभद्रस्य ।।१२।। शब्दार्थ :
यक्षा, यक्षदत्ता, भूता, भूतदत्ता, सेना, वेना और रेना ये सात स्थूलभद्रजी की बहनें हैं ।।१२।। विशेषार्थ :
४१-४७ (९४-१००) श्री स्थूलभद्रजी की बहनें - तीव्र स्मरण शक्ति को धारण करनेवाली ये सात बहनें शकडाल मंत्री की पुत्रियाँ एवं श्रीयक तथा श्री स्थूलभद्रजी की बहनें थीं। वररुचि नाम के ब्राह्मण के कपट का पर्दाफाश करने के लिए शकडाल मंत्री