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सूत्र संवेदना-५ श्रेणिक महाराज की पुत्री, शालिभद्र की बहन आदि, रूप और गुण से अप्रतिम उनकी आठ पत्नियाँ थीं। एक बार शालिभद्र की बहन याने धन्ना की पत्नी रो रही थी । कारण पूछने पर पता चला कि उसका भाई, शालिभद्र, रोज एक-एक पत्नी को छोड़कर अंत में ३२ पत्नियों का त्यागकर संयम के पंथ पर निकल पड़ेगा । यह सुनकर धन्नाजी ने कहा, 'तुम्हारा भाई कायर है, छोड़ना है तो एक साथ छोड़ देना चाहिए, इस प्रकार एक-एक पत्नी को क्या छोड़ना ?'
आर्य पत्नी की मर्यादा के कारण सुभद्रा मौन रही, परन्तु दूसरी पत्नी ने कटाक्ष में कहा - 'स्वामिनाथ ! बोलना आसान है, परन्तु करना कठिन है ।'
धन्नाजी ने तुरंत कहा कि, 'कायर के लिए करना कठिन है, वीर के लिए नहीं।' इतना बोलकर धन्नाजी उठे और अपनी ८ विनम्र पत्नियाँ, ऋद्धि, समृद्धि सब को छोड़ कर दीक्षा ले ली। यह पता चलते ही शालिभद्र ने तुरंत दीक्षा स्वीकारी। धन्नाजी उत्तम आराधना करके मोक्ष में गए।
“ऐसे पुण्य पुरुषों को प्रणाम करके उनके जैसी उदारता, सज्जनता और विशेष तौर पर वैराग्य को प्राप्त करने की प्रार्थना करें ।” ३४. इलाइपुत्तो - श्री इलाचीपुत्र इभ्य सेठ और धारिणी सेठानी को इला नाम की देवी की आराधना से, अति पुण्यशाली और तीव्र बुद्धिशाली पुत्र हुआ। उन्होंने उसका नाम इलाची पुत्र रखा । अपने क्षयोपशम से, प्रयास किए बिना ही उसने सभी कलाओं को सिद्ध कर लिया और अनेक कठिन शास्त्रों के अर्थ आत्मसात् कर लिए।