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सूत्र संवेदना - ५
वसति की ( रहने के स्थान की) याचना की। किसी साथी चोर को धर्मोपदेश न देने की शर्त पर उसने जगह दी। चार महीने के अंत में विहार करते हुए वंकचूल की सरहद को पार कर आचार्य भगवंत ने वंकल की इच्छा से उन्हें चार नियम करवाएँ।
१. अनजाना फल नहीं खाना ।
२. किसी पर भी प्रहार करने से पहले सात कदम पीछे हटकर
प्रहार करना ।
३. राजरानी के साथ भोग नहीं करना ।
४. कौए का माँस नहीं खाना ।
अनेक प्रकार के कष्टों के बीच भी दृढ़ता से नियम का पालन करके अनेक लाभ प्राप्तकर वंकचूल मरकर बारहवें देवलोक में गए। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि,
'शुद्ध मनवाले जो जीव अंगीकृत व्रत नहीं छोड़ते, उन्हें पंकचूल की तरह अनेक प्रकार की संपत्ति मिलती है।'
'सत्त्वशाली और दृढ़ व्रतधारी इस महात्मा के चरणों में मस्तक झुकाकर हमें भी ऐसी दृढ़ता प्राप्त हो, ऐसी प्रार्थना करते है ।'
३१. गयसुकुमालो - श्री गजसुकुमाल
अद्भुत रूप, अपार प्यार-दुलार, अनहद संपत्ति, खिलता यौवन, रूपवान नारियों का निःस्वार्थ प्रेम जिन्होंने प्राप्त किया वे श्री गजसुकुमाल श्री कृष्ण के छोटे भाई थे। उनकी माँ देवकी को सातसात पुत्र हुए, फिर भी उनको एक भी पुत्र का पालन करने का अवसर नहीं मिला । व्यथित माता ने अपनी पुत्रपालन की लालसा