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________________ भरहेसर-बाहुबली सज्झाय २०१ तर्कबद्ध उत्तर देकर निरुत्तर कर दिया। रंग और विलास में खिली हुई कन्याओं पर भी वैराग्य का रंग चढ़ा दिया। पूरी रात चले इस रसप्रद वार्तालाप के गवाह, जंबूस्वामी के घर को लूटने आया प्रभव चोर और उसके ५०० साथी भी थे। वार्तालाप के निचोड़ से निकले शाश्वत सत्य के ऊपर उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर कर दी और वे सब भी दीक्षा लेने के लिए सज्ज हो गए। दूसरे दिन ८ पत्नियाँ, ९ के माता-पिता, प्रभव और ५०० चोरों के साथ जंबूस्वामी ने सुधर्मास्वामी के पास भव्य दीक्षा ली। सुधर्मास्वामी ने आगम की रचना श्री जंबूस्वामी को ध्यान में रखकर की है। कालक्रम से श्री जंबूस्वामी मोक्ष में गए । उनके मोक्षगमन के साथ भरत क्षेत्र से मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान, मोक्ष, क्षपकश्रेणी, उपशम श्रेणी, आहारक लब्धि, पुलाकलब्धि तथा तीन प्रकार के चारित्र का विच्छेद हुआ। “ऐसे पवित्र पुरुष को प्रणाम करके उनके जैसा विवेक और वैराग्य हममें भी प्रगट हो ऐसी भावना रखें..." ३०. वंकचूलो - वंकचूलकुमार वंकचूल राजपुत्र था। नाम तो उनका पुष्पचूल था परन्तु टेढ़े काम करने के कारण उनका नाम वंकचूल पड़ गया। छोटी उमर में बुरी संगत में पड़ने के कारण उनका जीवन दोषों का भंडार बन गया था। पिता ने उनके दुष्कृत्यों की सज़ा के रूप में उन्हें देश से बाहर निकाल दिया। इसलिए वे अपनी पत्नी और बहन के साथ जंगल में पल्लीपति बनकर रहने लगे। एक बार ज्ञानतुंग आचार्य विहार करते करते वंकचूल की पल्ली में आ पहुँचे। वर्षाकाल शुरू हो जाने से आचार्य ने वंकचूल के पास
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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