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________________ १८८ सूत्र संवेदना-५ १७. केसि - श्री केशी गणधर श्री पार्श्वनाथ प्रभु के शासन के इस महापुरुष ने महा-नास्तिक प्रदेशी राजा को तर्कबद्ध उत्तर देकर आस्तिक बनाया। स्वयं बड़े होने के बावजूद उन्होंने श्री गौतमस्वामी के साथ चर्चा करके, पाँच महाव्रतों का स्वीकार किया। प्रभुवीर के शासन को प्राप्तकर उन्होंने अनुक्रम से सिद्धिपद को प्राप्त किया। “विशिष्टबुद्धि के साथ सरलता और उदारता के स्वामी, हे केशी स्वामी ! आपको कोटि-कोटि वंदना ।" १८. करकंडु - करकंडु चेड़ा राजा की पुत्री और दधिवाहन राजा की पत्नी श्रीमती पद्मावती गर्भावस्था में हाथी के ऊपर बैठकर वनविहार कर रही थी। हाथी के पागल होने पर वह राजा से अलग होकर निर्जन जंगल में भटक गई। घूमते-घूमते एक साध्वीजी से मिली। उनके उपदेश से वैराग्य को प्राप्तकर उन्होंने दीक्षा ली। 'यदि मैं बताऊँगी कि मैं गर्भवती हूँ तो मुझे दीक्षा नहीं मिलेगी' ऐसे भाव से उन्होंने अपनी गर्भावस्था गुरु को नहीं बताई। समय आने पर इस साध्वीजी के गर्भ से करकंडु का जन्म हुआ। लोक निंदा आदि से बचने के लिए साध्वीजी ने उस पुत्र को राजचिह्न सहित श्मशान में छोड़ दिया। एक निःसंतान चांडाल उसे ले गया और बड़ा किया। उसको बहुत खुजली आती थी । इसलिए उसका नाम करकंडु पड़ा। भाग्य के योग से वह राजा बना और कर्म की विचित्रता से एक बार अपने पिता राजा के साथ ही युद्ध की योजना बनाई । साध्वी पद्मावती ने यह बात जानने पर पिता-पुत्र को एक-दूसरे की पहचान करवाकर युद्ध रुकवा दिया।
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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