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________________ चउक्कसाय सूत्र परिचय: इस सूत्र में पार्श्वनाथ भगवान की स्तुति की गई है । इसलिए यह 'पास जिन थुई या पार्श्वनाथ जिनस्तुति' के रूप में पहचाना जाता है । इसमें सूत्रकारश्रीजी ने पार्श्वनाथ भगवान के स्वरूप को बताने के साथ-साथ गर्भित आशय द्वारा साधक को किससे युद्ध करना है, शत्रु पक्ष कैसा है, उसके ऊपर विजय कैसे प्राप्त करना इत्यादि विषयों पर बहुत सुंदर मार्गदर्शन देकर महान उपकार किया है । यह सूत्र छोटा होने के बावजूद गहन भावों से भरा हुआ है और साधना में अति सहायक है। इसकी प्रथम गाथा के पूर्वार्ध में सूत्रकार ने आत्मा को मल्ल की उपमा देकर बताया है कि, कषाय और नोकषाय आत्मा के प्रतिस्पर्धी-प्रतिमल्ल हैं । प्रभु ने इन प्रतिमल्लों का सर्वथा नाश करके अपने सुखमय स्वभाव को प्राप्त किया था । उसी प्रकार साधक को भी प्रभु को आदर्श बनाकर, उनकी वंदना द्वारा उनके जैसा ही कार्य करने की शक्ति प्राप्त करनी चाहिए और विषयकषाय से मुक्त होने का प्रयत्न करना चाहिए। इस प्रकार पूर्वार्ध में
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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