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लघु शांति स्तव सूत्र
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ओमिति नमो नमो ह्राँ ह्रीं हूँ हः यः क्षः ह्रीं फुट् फुट् स्वाहा 5'ॐ' अर्थात् कि परमज्योतिस्वरूप हे देवी ! आपको नमस्कार हो और मंत्राक्षर स्वरूपिणी हे देवी ! आप को नमस्कार हो ।
ओमिति नमो नमः - ‘ॐ' स्वरूप हे देवी ! आपको नमस्कार हो । 'ॐ' का अर्थ है परमज्योति । परमज्योतिस्वरूप हे देवी! आपको नमस्कार हो । जैसा कि गाथा नं. २ में बताया गया है, 'ॐ' शब्द परमात्मा का वाचक है । अपेक्षा से 'ॐ' शब्द पंच परमेष्ठी का वाचक भी माना जाता है; परन्तु यहाँ टीकाकार ने 'ॐ' शब्द का परमज्योति अर्थ किया है। ऐसा लगता है कि, जयादेवी की काया अत्यंत प्रकाशमय होने के कारण उन्हें परमज्योतिस्वरूप कहा गया होगा ।
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' (ॐ नमो ) हाँ ह्रीं हूँ ह्रः यः क्षः ह्रीं फुट् फुट् स्वाहा' 4
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45. ॐ नमो नमो ह्राँ ह्रीं हूँ हँः यः क्षः ह्रीं फुट् फुट् स्वाहा' मंत्र का नाम मंत्राधिराज है । यह पार्श्वनाथ प्रभु का मंत्र है। जिसे श्री कमठ ने प्रकाशित किया है और विजया तथा जयादेवी को उसने दर्शाया है। वह मुख्य रूप से अशिवों का निषेध करनेवाले मंत्र पदों से गर्भित है ।
मंत्राधिराज स्तोत्र में उसका स्वरूप निम्नलिखित १५ अक्षर का है :
।। ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं हूँ हूँ: यः क्षः ह्रीं फुट् फुट् स्वाहा एँ ऐं ।।
उसमें से शीर्षक के ॐकार के युगल को और पल्लव रूप में रहे हुए ऐंकार के युगल को विसंकलित करें तो ग्यारह अक्षर का श्री पार्श्वनाथ का मंत्र प्राप्त होता है ।
'ॐ नमो नमः' यह श्री शांतिनाथ नामाक्षर मंत्र अथवा प्रधानवाक्य स्वरूप है। इसके पहले बताया गया है कि यह श्री पार्श्वनाथ प्रभु के 'मंत्राधिराज' के साथ जोड़कर अशिव का नाश करने के विशेष प्रयोजन से शांति में जोड़ा गया ।
हर एक मंत्र की तरह इस मंत्र में भी अक्षर की संकलना और शुद्ध उच्चारण अति महत्त्वा विषय है, क्योंकि वैसी संकलना और संयोजनपूर्वक ही मंत्र का विशिष्ट अर्थ प्राप्त होता है। यदि उसमें प्रयुक्त मंत्रपदों को विसंकलित किया जाए तो नीचे दिए गए अर्थ प्राप्त होते हैं । 'ॐ' के साथ जोडा गया नमो नमः पद मंत्र का ही एक भाग है जिसमें मंत्राधिष्ठायिका के प्रति अंतरंग भक्ति बताई गई है। विशेष भक्ति प्रदर्शित करने के लिए यहाँ उसका दो बार प्रयोग किया गया है।