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________________ १२२ सूत्र संवेदना-५ शिव-शान्ति-तुष्टि-पुष्टि-स्वस्तीह कुरु कुरु जनानाम् - (हे देवी !) यहाँ = संसार में लोगों के लिए शिव, शांति, तुष्टि, पुष्टि और कल्याण करें। शिव, शांति, तुष्टि, पुष्टि और स्वस्ति : यह जयादेवी के पाँच मुख्य कर्तव्य हैं। श्रीसंघ का कल्याण करना अर्थात् अशुभ प्रसंग उपस्थित ही न हों ऐसे संयोग उत्पन्न करना, देवी का 'शिव' नाम का कर्तव्य है। उपस्थित हुए उपद्रव या भय का निवारण करना देवी का 'शांति' नामक कर्तव्य है। अशुभ संयोगों का नाश करके, साधक के शुभ मनोरथ को पूर्ण कर संतोष देना, देवी का 'तुष्टि' नामक कर्तव्य है। संघ आदि को अनेक प्रकार के लाभ करवाकर, उनके ऊपर बड़ा उपकार करना, देवी का 'पुष्टि' नाम का कर्तव्य है। रोग आदि उपद्रवों का नाश करके कुशल-मंगल और कल्याण करना, देवी का 'स्वस्ति' नाम का कर्तव्य है। इन विशेषणों के द्वारा प.पू.मानदेवसरीश्वरजी महाराज ने देवी को ये पाँच कल्याणकारी कर्तव्य करने की प्रेरणा दी है। इस प्रकार देवी को शांति, तुष्टि आदि करने की प्रेरणा करने के बाद मंत्राक्षरों द्वारा देवी की स्तुति करते हैं।
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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