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लघु शांति स्तव सूत्र
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गाथार्थ :
हे भगवती ! हे गुणवती ! “ॐ नमो नमो हाँ ही हूँ हू: यः क्षः ही फुट फुट् स्वाहा' ऐसे स्वरूप वाली हे देवी ! यहाँ रहनेवाले लोगों के लिए शिव, शांति, तुष्टि, पुष्टि और कल्याण करें ! करें43 ! विशेषार्थ :
विजयादेवी को संघ में शान्ति करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अब पूज्य मानदेवसूरीश्वरजी महाराज कहते हैं कि, भगवति44 - हे भगवती देवी ! ऐश्वर्य आदि गुणों से युक्त हे देवी ! गुणवति - हे गुणवती देवी!
औदार्य, धैर्य, शौर्य, गांभीर्यादि अनेक गुणों से सुशोभित तथा सम्यग्दर्शन, संघ वात्सल्य, देव-गुरु की भक्ति इत्यादि उच्च कक्षा के लोकोत्तर गुणों को धारण करनेवाली हे जयादेवी ! 43. पू. हर्षकीर्तिसूरि निर्मित शांतिस्तव की वृत्ति के आधार पर इस गाथा का यह अर्थ निम्नलिखित
अन्य दो प्रकार से भी किया जा सकता है। १. 'ॐ' ऐसे स्वरूपवाली हे देवी ! आपको नमस्कार हो और हे भगवती ! हे गुणवती ! हे 'ॐ नमो हाँ ह्रीं हूँ हूः यः क्षः ही फुट फुट् स्वाहा' ऐसे मंत्र स्वरूप वाली देवी यहाँ रहनेवाले लोगों को शिव शांति, तुष्टि, पुष्टि और कल्याण करें ! २. हे भगवती ! हे गुणवती ! 'ॐ नमो नमः' इस मंत्र स्वरूपवाली हे देवी ! तथा 'ॐ नमो हाँ ही हूँ ह्रः यः क्षः ही फुट फुट् स्वाहा' मंत्र स्वरुप वाली हे देवी ! यहाँ रहनेवाले लोगों का शिव, शांति, तुष्टि, पुष्टि और कल्याण करें ! 44. 'भगवति' की विशेष समझ के लिए गाथा नं. ७ देखें ।
'भगवति' यह शब्द संबोधन एकवचन में है। इसका अर्थ 'देवी' होता है और मंत्र विशारद इसका अर्थ 'सूक्ष्म, अव्यक्त या निराकार स्वरूपवाली' ऐसा करते हैं । ‘गुणवति' शब्द भी संबोधन एकवचन में है और उसका अर्थ सत्त्व, रजः और तमस् ये तीन गुणवाली ऐसा होता है।