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________________ १२० सूत्र संवेदना-५ समय के प्रभाव से हमारे ऊपर अविश्वास के कारण आप प्रत्यक्ष होकर हमें मार्ग नहीं बताती, फिर भी साधर्मिक होने के नाते से आज आप को अंतर से एक प्रार्थना करता हूँ कि हे देवी ! आप हमारी श्रद्धा को दृढ़ करने के लिए और साधना मार्ग में मन अडिग रखने के लिए हमें शांति, तुष्टि, पुष्टि और स्वस्ति प्रदान करें। गाथः: भगवति ! गुणवति ! शिव-शान्ति - तुष्टि - पुष्टि - स्वस्तीह कुरु कुरु जनानाम् । ओमिति नमो नमो हाँ ह्रीँ हूँ हः । यः क्षः ही फुट फुट42 स्वाहा ।।१४।। अन्वयः भगवति ! गुणवति ! ॐ नमो नमो हाँ ह्रीं हूँ ह्रः यः क्षः ह्रीं फुट फुट् स्वाहा इति इह जनानां शिव-शान्ति-तुष्टि-पुष्टि स्वस्ति कुरु कुरु ।।१४।। 42. फुट फुट के स्थान पर फट फट् पाठ भी मिलता है। प्रबोध टीका में इस गाथा का अन्वय करते हुए “ॐ नमो नमो हाँ ही हूँ हँ: यः क्षः ही फुट फुट स्वाहा” को एक ही मंत्र स्वरूपवाली देवी बताया गया है जब कि श्री हर्षकीर्तिसूरि कृत टीका में 'ॐ' का अर्थ किया है ‘परमज्योति' और उस स्वरूपवाली देवी को नमस्कार करने के लिए नमो शब्द का प्रयोग किया है, परन्तु मंत्राक्षरों का अर्थ करने के लिए मेरी बुद्धि समर्थ नहीं और आज ऐसा कोई विशिष्ट आम्नाय नहीं जिसके सहारे स्पष्ट निर्णय किया जा सके, इसलिए इस विषय में बहुश्रुत विचार करें....
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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