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________________ वंदित्तु सूत्र अब क्या करने की इच्छा है यह बताते हैं - पडिक्कमिउं - (मैं) प्रतिक्रमण करना (चाहता हूँ) । प्रतिक्रमण करना अर्थात् वापस लौटना। ‘प्रमादवश स्वस्थान से अर्थात् अपने ज्ञानादि गुणों से परस्थान में गई हुई आत्मा को पुनः स्वस्थान में लाना प्रतिक्रमण हैं अथवा क्षायोपशमिक भाव से औदयिक भाव की तरफ गई हुई आत्मा को पुनः क्षायोपशमिक भाव में लाना प्रतिक्रमण है। विषय, कषाय एवं प्रमादादि दोषों के कारण ज्ञानादि गुणों से दूर हुई आत्मा को पुनः अपने मूल स्वभाव में लाने का यत्न करना प्रतिक्रमण हैं। संक्षिप्त में अतिक्रमण का प्रतिक्रमण करना हैं। व्रत की मर्यादा का उल्लंघन करनेवाली आत्मा को पुनः मर्यादा स्थित बनाने का यत्न करना प्रतिक्रमण हैं। अब किसका प्रतिक्रमण करना है वह बताते हैं - सावग धम्माइआरस्स - श्रावक धर्म के अतिचारों का। 'सावग धम्माइआरस्स' शब्द श्रावक, धर्म एवं अतिचार इन तीन शब्दों से बना है जिसमें श्रावक का धर्म अर्थात् सम्यक्त्व मूलक बारह व्रत। इन धर्मों में लगनेवाले अतिचार श्रावक धर्म के अतिचार हैं, जिनका प्रतिक्रमण करने की साधक इच्छा रखता है। 9. क्षायोपशमिकाद् भावादौदयिकवशं गतः। तत्रापि च स एवार्थः, प्रतिकूलगमात्स्मृतः ।।१२३०॥ - आवश्यकनियुक्ति-हारिभ्रदीयटीका गाथा १२३०/३१ पडिक्कमणं पडियरणा, पडिहरणा वारणा निअत्ती य। निंदा गरिहा सोही, पडिक्कमणं अहा होई।।१२३१।। - आवश्यकनियुक्ति प्रतिक्रमण, प्रतिचरणा, प्रतिहरणा, वारणा, निवृत्ति, निन्दा, गर्दा एवं शुद्धि, ऐसे प्रतिक्रमण के ८ पर्यायवाची शब्द हैं। जिनकी विशेष समझ के लिए आवश्यक नियुक्ति तथा प्रतिक्रमण हेतु गर्भ सज्झाय देखिए। 'प्रतिक्रमण किसको कहते हैं ?' यह इस पुस्तक की भूमिका में स्पष्ट किया है।
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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