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________________ नाणमि दसणम्मि सूत्र सूत्र परिचय: मोक्ष का अनन्य उपाय ज्ञान, दर्शन, चारित्ररूप रत्नत्रयी है । इस रत्नत्रयी की प्राप्ति एवं वृद्धि ज्ञानाचार दर्शनाचार, चारित्रचार, तपाचार एवं वीर्याचाररूप पाँच आचार के पालन से होती है, इसलिए साधु भगवंत सतत एवं श्रावक समय और शक्ति के अनुसार इन ज्ञानाचार आदि पाँच आचारों का पालन करते हैं । इन पाँच आचारों का पालन न करना या विपरीत पालन करना ज्ञानादि गुणों में विघ्नकारक बनता हैं । प्रतिक्रमण करते समय श्रावक इस सूत्र की एक एक गाथा के माध्यम से पाँचों आचारों के अतिचारों का चिंतन करता है । इसलिए यह सूत्र ‘अतिचार आलोचना' सूत्र भी कहलाता है । ___सामान्य से ऐसा नियम है कि, सदाचार के बिना सद्विचार नही टिकता एवं सद्विचार के बिना सद्गुणों की प्राप्ति नहीं होती । इन सद्गुणों की प्राप्ति के लिए अनेक धर्मशास्त्रों में अनेक प्रकार की सत्प्रवृत्तियाँ बताई गई हैं, परन्तु मोक्ष मार्ग के अनुरूप जैसे आचार जैन शास्त्रों में बताए हैं, वैसे आचार और कहीं देखने को नहीं मिलते । आचार किसे कहते हैं एवं सामान्य से आचार कितने हैं ? उसका उल्लेख इस सूत्र की प्रथम गाथा में किया गया है । धन की रुचि वाले को जैसे धन
SR No.006126
Book TitleSutra Samvedana Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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