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________________ 'इच्छामि ठामि' सूत्र सूत्र परिचय: इस सूत्र द्वारा दिनभर में लगे हुए अतिचारों की आलोचना की जाती है, इसलिए इस सूत्र का दूसरा नाम 'अतिचार आलोचना' सूत्र है । इमारत (मकान) में से गिरते हुए एक कंकण की भी अगर उपेक्षा की जाए, तो एक दिन पूरी इमारत मिट्टी में मिल सकती है, उसी तरह लिए हुए व्रतों में यदि बार बार दोष लगते रहें एवं उसकी उपेक्षा की जाए तो स्वीकृत व्रतों का भी एक दिन सर्वथा विनाश हो जाता है । यह व्रतविनाश, दुरंत संसार का कारण बनता है । इसीलिए व्रतधारी श्रावकों को अपने व्रत में किसी प्रकार का स्खलन न हो, इस बात का सतत ध्यान रखना चाहिए, ऐसा होते हुए भी अनादि काल से अभ्यस्त प्रमादादि दोषों के कारण अतिचार लगने की संभावना रहती है । लगे हुए इन अतिचारों के स्मरण तथा शोधनपूर्वक आत्मशुद्धि करने को उत्सुक साधक सर्वप्रथम 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं' पद पूर्वक यह सूत्र बोलकर कायोत्सर्ग में रहता है और उस कायोत्सर्ग के दौरान वह 'नाणम्मि' वगैरह सूत्र के सहारे ज्ञानादि गुणों में जहाँ जहाँ दोष लगे हों, उनका चिंतन करता है । चिंतन किए हुए उन अतिचारों को स्मृतिपट पर अंकित करके, काउस्सग्ग पूर्ण करके, उन अतिचारों की आलोचना करने के लिए, विनयपूर्वक गुरु भगवंत को
SR No.006126
Book TitleSutra Samvedana Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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