________________
पडिक्कमण ठावणा सूत्र
सूत्र परिचय: __ इस सूत्र द्वारा प्रतिक्रमण क्रिया की स्थापना होती है, इसलिए इसका नाम 'प्रतिक्रमण स्थापना सूत्र' है - इसके अतिरिक्त, संपूर्ण प्रतिक्रमण का सार इस छोटे से सूत्र में समाविष्ट होने से इस सूत्र को 'लघु प्रतिक्रमण सूत्र' भी कहते हैं एवं संपूर्ण प्रतिक्रमण का इस सूत्र में संक्षेप में समावेश होने से 'धर्मसंग्रह' में इस सूत्र का उल्लेख 'सकल प्रतिक्रमण बीज' रूप से भी किया गया है ।।
किसी भी वस्तु का निरूपण करने के लिए पहले उस वस्तु के विषय का निर्देश किया जाता है, बाद में उसकी सामान्य जानकारी दी जाती है एवं उसके बाद वस्तु का विस्तृत विचार किया जाता है । प्रतिक्रमण की क्रिया में भी ऐसी ही पद्धति अपनाई है ऐसा लगता है।
सर्वप्रथम, प्रतिक्रमण किस विषय का करना है, यह इस सूत्र द्वारा बताया गया है । उसके बाद प्रतिक्रमण की सामान्य जानकारी 'इच्छामि ठामि सूत्र' में दी गई है एवं विस्तृत जानकारी 'वंदित्तु सूत्र' में बताई गई है । वंदित्तु सूत्र में बताई गई जानकारी को भी सभी समझ सकें इसलिए गुजराती भाषा में उसका विस्तार अतिचार' में है । इस तरह उत्तरोत्तर सूत्रों में पीछे की बातों का विस्तार है ।