SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १34 १३६ क्रम विषय - पृष्ठ नं. क्रम विषय * 'इच्छा निवेदन' आदि छः * 'जंकिचि मिच्छाए' का स्थान में सूत्र का विशेषार्थ १३० विभागीकरण १०७ * ‘मणदुक्कडाए, वयदुक्कडाए, * मूल सूत्र १०९ कायदुक्कडाए' का विशेषार्थ १३१ * अन्वय सहित संस्कृत * 'कोहाए, माणाए, मायाए छाया और शब्दार्थ लोभाए' का विशेषार्थ * इच्छा निवेदन स्थानः * 'सव्वकालिआए' का विशेषार्थ १३३ 'इच्छामि...निसीहिआए' 'सव्वमिच्छोवयाराए' का विशेषार्थ का विशेषार्थ . ११३ * 'सव्वधम्माईक्कमणाए' * अनुज्ञापन स्थान : का विशेषार्थ 'अणुजाणह मे मिउग्गहं' का विशेषार्थ * 'जो मे अइआरो... ११७ * 'निसीहि' का विशेषार्थ निंदामि गरिहामि' का १७ विशेषार्थ 'अहोकायं कायसंफासं... * 'अप्पाणं वोसिरामि' का किलामो' का विशेषार्थ ११८ | विशेषार्थ * अव्याबाधापृच्छा स्थान : ६. सात लाख सूत्र १४०-१५१ 'अप्पकिलंताणं... * सूत्र परिचय १४० वइक्कंतो' का विशेषार्थ १२० | * मूल सूत्र * संयम यात्रा पृच्छा स्थान : * ‘सात लाख पृथ्वीकाय' 'जत्ता भे' का विशेषार्थ १२२ का विशेषार्थ * यापना पृच्छा स्थान : * ‘सात लाख अप्काय' 'जवणिज्जं च भे?' .. का विशेषार्थ का विशेषार्थ १२४ * 'सात लाख तेउकाय' * अपराध क्षमापना स्थान : का विशेषार्थ 'खामेमि... वइक्कम' का * ‘सात लाख वाउकाय' विशेषार्थ १२६ का विशेषार्थ १४५ * 'आवस्सिआए पडिक्कमामि' * 'दश लाख प्रत्येक वनस्पति का विशेषार्थ १२७ | काय' का विशेषार्थ १४६ * 'खमासमणाणे. * 'चौदह लाख साधारण तित्तीसन्नयराए' का विशेषार्थ १२८ । वनस्पति काय' का विशेषार्थ १४६ १३९ १४२ १४२ १४४ १४५
SR No.006126
Book TitleSutra Samvedana Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy