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क्रम
विषय
* पाँच समिति एवं तीन
गुप्ति की व्याख्या गाथा - ५ बारसविहम्मि...
सो तवायारो ।।
* अन्वय सहित संस्कृत
छाया और गाथार्थ
* 'बारसविहम्मि... दिट्ठे' का विशेषार्थ
* तप और तपाचार का
कुसल
* 'अणसणं' का विशेषार्थ
* 'ऊणोअरिआ' का
विशेषार्थ
* 'वित्तीसंखेवणं' का
विशेषार्थ
* 'रसच्चाओ' का
विशेषार्थ
* 'कायकिलेसो' का
विशेषार्थ
* 'संलीणया य' का
विशेषार्थ
* 'बज्झो तवो होइ' का
विशेषार्थ
पृष्ठ नं. क्रम
७०
७२
स्वरूप
* 'अगिलाइ अणाजीवी...
सो तवायारो' का विशेषार्थ ७४ गाथा - ६ अणसणमूणोअरिआ.. बज्झो तवो होइ । * अन्यव सहित संस्कृत छाया और गाथार्थ
७२
७३
७३
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७८
८०
८१
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८४
विषय गाथा - ७ पायच्छि
* विणओ... अब्भितरओ तवो होइ ।।
* अन्वय सहित संस्कृत
छाया और गाथार्थ
* 'पायच्छित्तं' का विशेषार्थ
* 'विणओ' का विशेषार्थ
* 'वेयावच्चं' का विशेषार्थ
८६
* 'तहेव सज्झाओ' का
विशेषार्थ
* स्वाध्याय का स्वरूप
* 'झाणं' का विशेषार्थ
* ध्यान का स्वरूप * धर्मध्यान का स्वरूप
* शुक्लध्यान का स्वरूप * 'उस्सग्गोवि अ' का विशेषार्थ
* ‘परक्कमइ जो जहुत्तमाउत्तो' का विशेषार्थ
* 'जुंजइ अ... वीरिआयारो' का विशेषार्थ
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पृष्ठ नं.
५. सुगुरु वंदन सूत्र * सूत्र परिचय
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* व्युत्सर्ग का स्वरूप
गाथा - ८ अणिगूहिअ - बल.... वीरिआयारो ।।
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* अन्वय सहित संस्कृत
छाया और गाथार्थ
* 'अणिगूहिअ-बल-वीरिओ'
का विशेषार्थ
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