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सुगुरु वंदन सूत्र . . १०९ समाचारी' का सूचक 'आवस्सिआए' शब्द का प्रयोग होता है जब कि दूसरे वंदन में इस शब्द का प्रयोग नहीं होता ।
इस सूत्र का विवेचन आवश्यक नियुक्ति, धर्मसंग्रह वगैरह ग्रंथों के आधार से किया गया है । विशेष जानकारी के अभिलाषी वहाँ से देख लें।
मूलसूत्र: इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए,
अणुजाणह मे मिउग्गहं ।
निसीहि अहोकायं काय-संफासं
खमणिजो भे ! किलामो, अप्पकिलंताणं बहुसुभेण भे ! दिवसो वइक्तो ?
___ जत्ता भे?
जवणिजं च भे? खामेमि खमासमणो ! देवसिअं वइक्कम
आवस्सिआए पडिक्कमामि । खमासमणाणं देवसिआए आसायणाए,
तित्तीसन्नयराए,
जं किंचि मिच्छाए, मण-दुक्कडाए वय-दुक्कडाए काय-दुक्कडाए, कोहाए माणाए मायाए लोभाए,
सव्वकालिआए सव्वमिच्छोवयाराए सव्वधम्माइक्कमणाए,