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सूत्रसंवेदना-३ वीर्याचार के इस वर्णन के साथ जैन शासन में दर्शाए हुए पाँचों आचारों का संक्षिप्त वर्णन पूर्ण हुआ । इन आचारों को समझकर जो अपने समग्र जीवन को आचारमय बनाता है, उसको सुख का मार्ग शीघ्र मिल जाता है और जो आचार से चूक जाता है वह दुःख की गर्त में गिरता है । इसलिए आत्मिक सुख को चाहनेवाले साधक को इस सूत्र रूप आईने में अपने आप को देखकर आचार मार्ग में स्थिर होने का सतत प्रयत्न करना चाहिए ।